Barnawapara Wildlife Sanctuary की अनसुनी दास्तां के साथ रोमांचक यात्रा का मजा
नमस्ते दोस्तों, क्या हाल-चाल है? मै आपका वही पुराना यार अमित! खूबसूरत भारत में फिर आपका स्वागत करता हूं। आज मैं आपको एक ऐसी जगह की सैर कराने जा रहा हूँ, जिसने मेरे दिल को पूरी तरह से जीत लिया लेकिन कुछ पल के लिए हिला भी दिया था। यार, बात कर रहा हूँ Barnawapara Wildlife Sanctuary की, जो छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में बसा एक जंगल है, जहाँ प्रकृति का जादू बिखरा पड़ा है। मैंने हाल ही में अपने दोस्त नवीन के साथ यहाँ की बाइक ट्रिप मारी, और भाई, क्या बताऊँ, ये जगह इतनी खूबसूरत है कि मन करता है बार-बार लौट जाऊँ। तो चलिए, Khubsurat Bharat के साथ मैं आपको ले चलता हूँ इस जंगल की सैर पर, जहाँ हर कदम पर कुछ नया, कुछ अनोखा मिला। ये पोस्ट मेरी उस यात्रा का एक मज़ेदार, थोड़ा गंभीर, और थोड़ा डरावनी किस्सा है, जिसमें मैंने जंगल में भटकने से लेकर बारहसिंगा और हिरण देखने तक का मज़ा लिया।
Barnawapara Wildlife Sanctuary में कैसे पहुँचा मैं?
बात अभी अभी का ही है। मैं होम टाउन जांजगीर में था, और मेरे दोस्त नवीन ने सुबह अचानक कहा, भाई, चल ना, कहीं बाइक ट्रिप मारते हैं। मैंने तुरंत हामी भरी, क्योंकि यार, बाइक का मज़ा ही अलग है। हमने Barnawapara Wildlife Sanctuary के बारे में सुना था, जो जांजगीर से करीब 130 किमी दूर है। सुबह-सुबह मैं और नवीन अपनी बाइक पर निकल पड़े। रास्ते में हरे-भरे खेत, छोटे-छोटे गाँव, और वो छत्तीसगढ़ की मिट्टी की खुशबू बस, मन खुश हो गया। हमने NH49 लिया, और रास्ते में पामगढ़ के पास एक चाय की टपरी पर रुककर गरमा-गरम समोसे खाए। भाई, वो मज़ा आज भी याद है।
जांजगीर से Barnawapara Wildlife Sanctuary तक का रास्ता इतना शानदार है कि बाइक चलाते वक्त लगता है जैसे आप किसी फिल्म के सीन में हैं। अगर आप कार से जाना चाहें, तो भी रास्ता आसान है। अगर आप हवाई जहाज़ से आ रहे हैं, तो रायपुर का स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डा सबसे नज़दीकी है, जो सेंचुरी से करीब 85-100 किमी दूर है। वहाँ से टैक्सी ले सकते हैं, जिसका किराया 2500-3500 रुपये पड़ता है। ट्रेन से आने वालों के लिए महासमुंद रेलवे स्टेशन (47 किमी) या रायपुर जंक्शन (100 किमी) अच्छे विकल्प हैं। लेकिन दोस्तों, अगर आपके पास बाइक है, तो भाई, जांजगीर से NH49 और SH9 के रास्ते ड्राइव का मज़ा ही ले लें। रास्ते में आपको छोटी-छोटी पहाड़ियाँ और जंगल दिखेंगे, जो ट्रिप को और खास बना देंगे।
बाइक से जा रहे हैं, तो हेलमेट और पानी की बोतल ज़रूर रखें। रास्ते में कुछ जगहों पर सड़क थोड़ी टूटी-फूटी है, तो स्पीड संभालकर रखें। और हाँ, नवीन की तरह कोई दोस्त साथ हो, तो मज़ा दोगुना हो जाता है।
Barnawapara Wildlife Sanctuary का जादू
Barnawapara Wildlife Sanctuary कोई बहुत मशहूर जगह नहीं है, और यही इसकी खासियत है। 245 वर्ग किमी में फैला ये जंगल 1976 में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत बनाया गया था। इसका नाम बार और नवापारा गाँवों से आया है, जो इस सेंचुरी के बीचों-बीच बसे हैं। दोस्तों, यहाँ का माहौल इतना शांत और अनछुआ है कि आपको लगेगा आप किसी जंगल बुक की दुनिया में चले आए हैं।
जब मैं और नवीन यहाँ पहुँचे, तो सबसे पहले हमें जोंक नदी और बलमदेही नदी का शांत बहता पानी दिखा। हमने बाइक एक किनारे खड़ी की और नदी के किनारे बैठकर आम खाया, भाई वो आम नवीन अपने घर से ही लाया था। यार, वो पल इतना सुकून भरा था कि मैं आज भी उसकी तस्वीर अपने दिमाग में देख सकता हूँ। यहाँ का जंगल Tropical Dry Deciduous Forest है, जिसमें सागौन, साल, महुआ, और बाँस के पेड़ों की भरमार है। इन पेड़ों के बीच से सूरज की किरणें जब छनकर आती हैं, तो ऐसा लगता है जैसे प्रकृति ने कोई जादुई पेंटिंग बनाई हो।
जंगल सफारी में बाइक पर रोमांच और भटकने का मज़ा
अब आता है असली मज़ा Jungle Safari का। हमने कोई जीप नहीं ली, क्योंकि यार, हम तो बाइक वाले ठहरे। हमने सोचा, क्यों न बाइक से ही जंगल की सैर कर लें? barnawapara wildlife sanctuary में अपनी गाड़ी ले जाने की इजाज़त है, जो भारत के 543 वन्यजीव अभयारण्यों में शायद ही कहीं और हो। हमने अपनी बाइक स्टार्ट की और जंगल की पगडंडियों पर निकल पड़े। कोई गाइड नहीं था, बस मैं और नवीन, और हमारा जोश।
सफारी के दौरान हमें Barasingha (बारहसिंगा) और Chital (हिरण) का एक झुंड दिखा। यार, वो बारहसिंगा इतने खूबसूरत थे कि मैं बस बाइक रोककर देखता रह गया। उनके सींग और वो शानदार चाल बस, दिल खुश हो गया। हिरण तो इधर-उधर उछल-कूद कर रहे थे, जैसे कोई बच्चों का खेल चल रहा हो। लेकिन भाई, हम थोड़ा ओवर कॉन्फिडेंट हो गए। एक पगडंडी पर गए, और फिर क्या, जंगल में भटक गए!
हम घंटे भर तक इधर-उधर भटकते रहे और गाड़ी में पेट्रोल का कांटा भी नीचे जा रहा था। नवीन तो डर के मारे बोलने लगा, भाई, अब तो भालू खा जाएगा! मैं भी थोड़ा घबराया, लेकिन हँसते हुए बोला, अरे, जंगल में भटकना भी तो एक एडवेंचर है। तभी एक भला आदमी, जो शायद वहाँ का स्थानीय था, हमें मिला। उसने हमें रास्ता दिखाया और हल्की-सी डाँट भी दी, बिना गाइड के जंगल में क्यों आए? हमने हँसकर माफी माँगी, और वो हमें सही रास्ते पर ले आया। उस दौरान हमें Sloth Bear, Indian Bison (Gaur), और Wild Boar भी दिखे। पक्षी प्रेमियों के लिए तो ये जगह जन्नत है। यहाँ 150 से ज़्यादा प्रजातियों के पक्षी हैं, जैसे Peacock, Parrots, White-rumped Vultures, और Racket-tailed Drongos। मैंने Hill Myna को देखकर अपनी आँखों पर यकीन नहीं किया वो इतनी खूबसूरत थी कि मैं और नवीन बस उसे देखते रह गए।
बाइक से सफारी करने का मज़ा तो है, लेकिन जंगल में भटकने की गलती मत करना। अगर गाइड नहीं ले रहे, तो कम से कम barnawapara wildlife sanctuary का मैप अपने फोन में रखें। और हाँ, बाइनोकुलर्स ज़रूर लें, पक्षी देखने का मज़ा दोगुना हो जाएगा।
Barnawapara Waterfall और आसपास की जगहें
अब बात करते हैं Barnawapara Waterfall की, जो इस सैंक्चुअरी का एक और रत्न है। ये झरना करीब 30 मीटर ऊँचा है, और मानसून में इसका असली रूप देखने लायक होता है। मैं और नवीन वहाँ गए तो बारिश के बाद का मौसम था। झरने के आसपास की हरियाली और पानी की ठंडक ने सारी थकान मिटा दी। मैंने जूते उतारे और पानी में पैर डालकर बैठ गया। नवीन ने मेरी एक फोटो खींची, जिसमें मैं किसी हीरो की तरह पोज़ दे रहा था, और हम दोनों हँसते-हँसते लोटपोट हो गए।
अगर आप Barnawapara Wildlife Sanctuary घूमने जा रहे हैं, तो आसपास की कुछ जगहें भी ज़रूर देखें। सिरपुर, जो यहाँ से सिर्फ 17 किमी दूर है, एक ऐतिहासिक शहर है। वहाँ का लक्ष्मण मंदिर 7वीं सदी का है, और इसकी नक्काशी देखकर आप दंग रह जाएँगे। इसके अलावा, सुरंग टीला मंदिर और गंधेश्वर मंदिर भी देखने लायक हैं। मैं और नवीन सिरपुर गए थे, और वहाँ की शांति ने हमें बहुत सुकून दिया।
एक और जगह है तुरतुरिया धाम, जो barnawapara wildlife sanctuary से 13 किमी दूर बलमदेही नदी के किनारे बसा है। कहते हैं कि यहाँ वाल्मीकि ऋषि रहा करते थे, और यह वही जगह है जहाँ सीता माता ने लव और कुश को जन्म दिया था। वहाँ का शांत माहौल मेरे और नवीन के लिए बहुत खास था। अगर आप ऐसी जगहों के बारे में और जानना चाहते हैं, तो टूर माय इंडिया पर ढेर सारी जानकारी मिल जाएगी।
स्थानीय संस्कृति और लोग
Barnawapara Wildlife Sanctuary के आसपास 21 गाँव बसे हैं, और यहाँ के लोग इतने प्यारे हैं कि लगता ही नहीं कि आप किसी अनजान जगह पर हैं। जिस गांव से हमलोग गुजर रहे थे तो एक जगह कुछ खाने को दिखा हमने गाड़ी रोकी और पास गए और फिर क्या गांव का वो देशी होटल जिसमे भाई, वो Chhattisgarhi Thali का स्वाद मक्के की रोटी, भजिया, और वो तीखी चटनी अभी भी मुँह में पानी ला देता है। उसने हमें अपने लोक नृत्य और हस्तशिल्प के बारे में भी बताया। मैंने और नवीन ने मिलकर एक बाँस का शो-पीस खरीदा, जो अब मेरे घर की शोभा बढ़ा रहा है।
स्थानीय लोगों से उनकी कहानियाँ ज़रूर सुनें। उनके पास जंगल और जानवरों की ऐसी-ऐसी कहानियाँ हैं, जो आपको किताबों में नहीं मिलेंगी।
रहने की व्यवस्था और खर्चा
Barnawapara Wildlife Sanctuary के आसपास कई अच्छे रिसॉर्ट्स और बजट होटल्स हैं। हम लोग तो रात तक वापिस जांजगीर आ गए थे, लेकिन आप Hareli Eco Resort में रुक सकते है, जो बहुत शानदार जगह है। हम लोग यहां गए थे। यहाँ का माहौल इतना शांत है कि सुबह पक्षियों की चहचहाहट आपको जगाएगी। कमरे साफ-सुथरे हैं, और खाना इतना स्वादिष्ट कि मैंने और नवीन ने दो बार आलू का पराठा माँग लिया। इसके अलावा, मोहदा इको रिसॉर्ट और मूबा’s मचान भी अच्छे हैं। बजट में रहना हो, तो मणसी लॉज या सम्राट लॉज में रुक सकते हैं। रुकने की जगहों की बुकिंग और रिव्यू के लिए ट्रिपएडवाइज़र चेक करें।
सफारी का खर्चा ज्यादा नहीं है। बाइक से जाएंगे तो एंट्री फी सिर्फ 30 रुपये प्रति व्यक्ति और 60 रुपये बाइक के लिए थी। अगर आप जीप लेते हैं, तो 1500-2000 रुपये देने पड़ सकते हैं। हम लोग तो barnawapara wildlife sanctuary के पीछे वाले रस्ते से गलती से चले गए थे, लेकिन आप इस रास्ते से मत जाइएगा, बहुत खतरा हैं।
Barnawapara Wildlife Sanctuary कब जाएँ?
Best time to visit Barnawapara Wildlife Sanctuary अक्टूबर से मार्च तक है। इस दौरान मौसम सुहाना रहता है, और जानवरों को देखने का सबसे अच्छा समय होता है। मैं और नवीन मई के लास्ट में गए थे, क्योंकि मौसम एकदम सुहावना हो गया था फिर अचानक प्लान बना और यार, वो ठंडी हवा और जंगल की हरियाली बस मज़ा आ गया। मानसून में जंगल हरा-भरा हो जाता है, लेकिन कुछ रास्ते बंद हो सकते हैं, और गर्मियाँ बहुत गर्म होती हैं।
जंगल के बीच मेरा एक निजी किस्सा
चलो, दोस्तों, एक मज़ेदार किस्सा सुनाता हूँ। जब हम जंगल में भटक गए थे, तो नवीन ने मुझसे कहा, “भाई, तू तो हमें ले डूबेगा!” मैं हँसते हुए बोला, “अरे, जंगल में भटकना भी तो एक एडवेंचर है।” लेकिन जब उस भला आदमी ने हमें रास्ता बताया तो उस रस्ते में बारहसिंगा और हिरण दिखे, तो नवीन की खुशी देखने लायक थी। उसने अपनी सारी डर भूलकर फोटो खींचने शुरू कर दिए। लेकिन कुछ पल में ही ओ खुशी दूर हो गई, क्योंकि उसी रस्ते से एक और यात्री आ रहे थे और उसका गाड़ी वही खराब हो गया।
फिर क्या उसने मदद की लिए बुलाया तो हम लोग गए, और भाई नवीन तो ठहरे जुगाड़ू आदमी उसने मेरे बाइक से पाना पेंचीस निकला और बनाने भीड़ गए, बहुत मेहनत के बाद आखिरकार नवीन गाड़ी बना ही ली, फिर क्या बाद में हमने उसके साथ चाय पी और जंगल की कहानियाँ सुनीं। वो पल मेरे लिए इतना खास था कि मैं आज भी सोचता हूँ कि जंगल ने मुझे कितना कुछ सिखाया।
Barnawapara Wildlife Sanctuary क्यों खास है?
यार, ये barnawapara wildlife sanctuary इसलिए खास है क्योंकि यहाँ भीड़-भाड़ नहीं है। यहाँ आप प्रकृति के साथ वक्त बिता सकते हैं, बिना किसी शोर-शराबे के। Eco-tourism के लिए ये जगह एक मिसाल है। यहाँ के लोग और सरकार मिलकर इसे इतने अच्छे से संभालते हैं कि आपको लगेगा कि आप किसी अनछुई दुनिया में हैं। चाहे आप Wildlife Photography के शौकीन हों, Bird Watching करना चाहते हों, या बस शांति की तलाश में हों Barnawapara Wildlife Sanctuary आपको निराश नहीं करेगा।
Barnawapara wildlife sanctuary का खूबसूरत अनुभव
दोस्तों, Barnawapara Wildlife Sanctuary वो जगह है, जहाँ आप प्रकृति के साथ दोस्ती कर सकते हैं। मैं और नवीन यहाँ जो वक्त बिताए, वो मेरे लिए एक तोहफा था। बाइक पर जंगल की सैर, भटकना, बारहसिंगा और हिरण देखना, और वहां की कहानियाँ सब कुछ मेरे दिल में बस्ता है। अगर आप भी जंगल, जानवर, और शांति के दीवाने हैं, तो भाई, बाइक स्टार्ट करो और निकल पड़ो।
यहां भी घूम सकते है :
- Crocodile Park Kotmisonar Chhattisgarh | क्रोकोडाइल पार्क कोटमिसोनार छत्तीसगढ़
- चैतुरगढ़ का किला | चैतुरगढ़ मंदिर छत्तीसगढ़
तो आप कब जा रहे हैं Barnawapara Wildlife Sanctuary? अपनी ट्रिप की प्लानिंग के लिए कोई सवाल हो, तो कमेंट में पूछो। मैं और नवीन आपके लिए हाज़िर हैं। और हाँ, Khubsurat Bharat पर इस पोस्ट को शेयर करना न भूलें, ताकि और लोग भी इस खूबसूरत जगह को देख सकें। चलता हूँ, फिर मिलते हैं किसी और जंगल की सैर पर!
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