Hareli Festival of Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ का पहला त्यौहार हरेली
हाय दोस्तों, मैं आपका दोस्त, अमित एक घुमक्कड़, और हाँ, आज मैं आपको अपने Hareli Festival की कहानी सुनाने जा रहा हूँ, जो मैं हर साल अपने गाँव में बड़े चाव से देखता और मनाता हूँ। यार, ये त्यौहार मेरे लिए सिर्फ एक उत्सव नहीं, बल्कि मेरे बचपन, मेरे गाँव, और मेरी मिट्टी की यादों का खजाना है। अगर आपने कभी छत्तीसगढ़ की संस्कृति को करीब से देखा है, तो समझ जाएँगे कि हरेली क्यों इतना खास है। तो चलिए, मेरे साथ इस Hareli Festival of Chhattisgarh की सैर पर चलते हैं, और मैं आपको बताता हूँ कि ये त्यौहार क्या है, कैसे मनाया जाता है, और क्यों ये मेरे दिल के इतना करीब है।
Hareli Festival of Chhattisgarh क्या है, भाई?
हरेली तिहार छत्तीसगढ़ का वो पहला त्यौहार है जो सावन की अमावस्या को धूमधाम से मनाया जाता है। इसका नाम ही बता देता है कि ये Hareli Festival हरियाली से जुड़ा है। ‘हरेली’ का मतलब है हरियाली, और सावन का महीना तो वैसे भी बारिश की फुहारों और हरे-भरे खेतों का होता है। ये त्यौहार खासकर किसानों का है, जो अपनी फसल, अपने औजारों, और अपने पशुओं के लिए दुआएँ माँगते हैं। लेकिन यार, ये सिर्फ खेती-बाड़ी तक सीमित नहीं है – पूरे छत्तीसगढ़ में ये एक बड़ा उत्सव है, जिसमें बच्चे Gedi Race में गेड़ी चढ़ते हैं, युवा नारियल फेंकने की रेस में हिस्सा लेते हैं, और हर घर में स्वादिष्ट छत्तीसगढ़ी खाना बनता है।
मुझे याद है, बचपन में जांजगीर के अपने गाँव में हरेली के दिन सुबह-सुबह उठकर मैं और मेरे दोस्त खेतों की ओर भागते थे। वहाँ गाँव वाले नीम के औषधीय गुणों से प्रेरित होकर नीम और बेलवा की टहनियाँ लगाने में व्यस्त रहते थे। बच्चे गेड़ी रेस की प्रैक्टिस करते थे, और हम सब नारियल फेंकने की रेस के लिए उत्साहित रहते थे। बचपन में तो मैं बहुत गेड़ी चढ़ा हूं लेकिन कुछ साल पहले फिर एक बार मैंने गेड़ी चढ़ने की कोशिश की, लेकिन भाई, दो कदम चला और धड़ाम! गाँव के बच्चे हँस-हँसकर लोटपोट हो गए। वो पल आज भी याद आता है, और मैं मुस्कुरा उठता हूँ।
हरेली का इतिहास और महत्व
चलो, थोड़ा गंभीर बात करते हैं। Hareli Festival of Chhattisgarh की जड़ें छत्तीसगढ़ की आदिवासी और कृषि संस्कृति में गहरी हैं। ये सावन की अमावस्या को मनाया जाता है, जो 2025 में 24 जुलाई को पड़ेगा। ये दिन किसानों के लिए बहुत खास है, क्योंकि सावन में धान की रोपाई पूरी हो जाती है, और अब फसल के अच्छे होने की दुआएँ माँगी जाती हैं।

छत्तीसगढ़ को Rice Bowl of India कहा जाता है। (Indian Agriculture, में आप इसके बारे में सटीक जानकारी ले सकते है) और हरेली तिहार इस खेती की आत्मा को सेलिब्रेट करता है। इस दिन लोग अपने खेतों में बेलवा की टहनियाँ लगाते हैं, नीम की डालियाँ घर के दरवाजे पर टाँगते हैं, और Kutki Dai, यानी फसलों की देवी, की पूजा करते हैं। नीम की टहनियाँ इसलिए, क्योंकि ये कीट-पतंगों को दूर रखती हैं और औषधीय गुणों से भरपूर होती हैं। निम के और क्या क्या लाभ है यहां Neem Benefits में देखे।
मेरे गाँव में एक दादी माँ थीं, जो हर साल हरेली की कहानी सुनाती थीं। वो बताती थीं कि उनके जमाने में भी हरेली ऐसे ही मनाई जाती थी। वो कहती थीं, “बेटा, ये त्यौहार हमारी मिट्टी से जुड़ा है। जब तक खेत हरे हैं, हमारा दिल भी हरा रहेगा।” उनकी बात सुनकर मैं इमोशनल हो जाता था। जांजगीर के खेतों में आज भी वही हरियाली और वही जोश देखने को मिलता है।
Hareli Festival of Chhattisgarh कैसे मनाते हैं?
अब आते हैं असली मजे की बात पर – Hareli Festival Celebration! जांजगीर में हरेली का माहौल सुबह से ही शुरू हो जाता है। लोग अपने खेतों में जाते हैं, अपने हल, बैल, और दूसरे कृषि औजारों की पूजा करते हैं। Agricultural Tools Worship इस त्यौहार का मुख्य हिस्सा है। इसके बाद घरों में खास छत्तीसगढ़ी पकवान बनते हैं – खुरमी रोटी, चीला, ठेठरी रोटी, और अरसा। ये सारे व्यंजन छत्तीसगढ़ी स्वाद के असली रत्न हैं। इसके बारे ज्यादा जानकारी के लिए Chhattisgarhi Cuisine Guide देखे।
मुझे याद है, मेरा दादी हर साल हरेली पर खुरमी रोटी बनाती हैं। वो चावल के आटे और खास मसालों से बनी रोटी होती है, जिसे हम गुड़ के साथ खाते हैं। चीला तो मेरे घर का फेवरेट है – चावल के आटे का पैनकेक, जिसे घी में बनाया जाता है। ठेठरी रोटी कुरकुरी होती है, और अरसा तो ऐसा मीठा व्यंजन है कि मुँह में रखते ही पिघल जाता है। इन पकवानों का स्वाद लेने के लिए आप छत्तीसगढ़ी खाने की रेसिपी देख सकते हैं।
फिर आता है Gedi Race का नंबर। यार, ये गेड़ी रेस जांजगीर के हर गाँव में धूम मचाती है। बच्चे और जवान बांस की गेड़ी पर चढ़कर दौड़ते हैं, और गाँव वाले तालियाँ बजाकर उनका हौसला बढ़ाते हैं। मैंने पिछले साल अपने भतीजे को गेड़ी चढ़ते देखा – वो इतनी तेजी से दौड़ रहा था कि लगा, भाई, ये तो चैंपियन बन जाएगा!
और हाँ, एक और खास रिवाज है – नारियल फेंकने की रेस। ये युवाओं का फेवरेट है। इसमें दो लोग एक-दूसरे को नारियल फेंकते हैं, और जो सबसे ज्यादा बार बिना गिराए नारियल फेंक लेता है, वो जीतता है। पिछले साल मैंने भी ट्राई किया था, लेकिन यार, तीसरे थ्रो में ही नारियल मेरे हाथ से छूट गया। गाँव के दोस्तों ने खूब मजाक उड़ाया, लेकिन वो मस्ती ही हरेली की जान है।
इसके अलावा, गाँवों में सामुदायिक भोज भी होता है। लोग एक साथ बैठकर खाना खाते हैं, गीत गाते हैं, और नाचते हैं। Chhattisgarh Folk Dances छत्तीसगढ़ की शान हैं। ये dance देखने का अपना ही मजा है। इससे जुड़े और अधिक जानकारी के लिए Chhattisgarh Folk Culture देख सकते है।
मेरा वो हरेली वाला याद
थोड़ा पर्सनल हो जाऊँ? हर साल जांजगीर में हरेली के दिन मेरा पूरा परिवार एक साथ इकट्ठा होता है। पिछले साल मेरी छोटी बहन ने पहली बार खुरमी रोटी बनाई थी। यार, वो रोटी इतनी स्वादिष्ट थी कि मैंने तीन खा लीं! मम्मी ने हँसते हुए कहा, “बेटा, धीरे खा, पेट में जगह रख, अभी चीला भी खाना है!” वो पल इतना खूबसूरत था कि मैं आज भी सोचकर इमोशनल हो जाता हूँ।
एक और मजेदार बात – पिछले साल गेड़ी रेस में मेरा दोस्त लाला भाई जीता था। वो इतना खुश था कि पूरे गाँव में ढोल बजवाकर अपनी जीत का जश्न मनाया। बाद में उसने मुझे गेड़ी चलाना सिखाया। मैंने दो-चार कदम चलने की कोशिश की, लेकिन फिर वही धड़ाम! रमेश भाई ने हँसते हुए कहा, “अरे, तू तो जांजगीर का है, फिर भी गेड़ी नहीं चला पा रहा!” मैंने जवाब दिया, “भाई, अब गेड़ी चढ़ना आसान नहीं, लेकिन कोशिश तो बनती है!”
हरेली और छत्तीसगढ़ की संस्कृति
हरेली तिहार छत्तीसगढ़ की आदिवासी संस्कृति का बड़ा हिस्सा है। Gond Groups के लिए ये त्यौहार बहुत खास है। यहां आप Gond Culture के बारे में और ज्यादा जान सकते हैं। वो लोग Kutki Dai की पूजा करते हैं और अपने पशुओं को बगरंडा की पत्तियाँ और नमक खिलाते हैं ताकि वो स्वस्थ रहें। जांजगीर में भी गोंड और अन्य समुदाय इस दिन अपने खेतों में बेलवा की टहनियाँ लगाते हैं और अच्छी फसल के लिए प्रार्थना करते हैं।
Neem Tree Significance इस त्यौहार में साफ दिखता है। नीम की टहनियाँ घर के दरवाजे पर टाँगी जाती हैं, क्योंकि माना जाता है कि ये बीमारियों और बुरी नजर से बचाती हैं Medicinal Plants of India में निम के बारे में और जान सकते हैं। मेरे गाँव में एक बैगा चाचा हैं, जो हरेली के दिन औषधीय पौधों के बारे में बताते हैं। वो कहते हैं, “नीम और बेलवा हमारे लिए भगवान का तोहफा हैं।” उनकी बात सुनकर लगता है कि हरेली सिर्फ उत्सव नहीं, बल्कि प्रकृति के प्रति हमारा प्यार और सम्मान है।
हरेली में क्या खास बनता है?
यार, खाने की बात न हो तो त्यौहार अधूरा है! Hareli Festival Food में छत्तीसगढ़ी स्वाद का जलवा रहता है। जांजगीर में इस दिन ये खास व्यंजन बनते हैं:
- खुरमी रोटी: चावल के आटे से बनी रोटी।
- चीला: चावल के आटे का पैनकेक, घी या तेल में बनाया जाता है।
- ठेठरी रोटी: कुरकुरा और स्वादिष्ट, ये हरेली का खास पकवान है।
- अरसा: चावल के आटे और गुड़ से बना मीठा व्यंजन, जो मुँह में घुल जाता है।
इन पकवानों का स्वाद ऐसा है कि आप एक बार खाएँगे, तो हर साल हरेली का इंतजार करेंगे। मेरा दादी कहती हैं कि ये व्यंजन सिर्फ स्वाद के लिए नहीं, बल्कि सेहत के लिए भी बनाए जाते हैं। सावन में बारिश की वजह से बीमारियाँ बढ़ती हैं, और ये पकवान शरीर को ताकत देते हैं Traditional Indian Foods के बारे में जानकार आप और हेल्थी बन सकते है।
Hareli Festival of Chhattisgarh को कैसे देखें?
अगर आप Hareli Festival in Chhattisgarh को देखना चाहते हैं, तो जांजगीर, रायपुर, या बिलासपुर जैसे इलाकों में जाएँ। जांजगीर में हरेली का मजा कुछ अलग ही है। यहाँ गेड़ी रेस और नारियल फेंकने की रेस देखने लायक हैं छत्तीसगढ़ में ट्रैवल के लिए Travel to Chhattisgarh देखे।
Travel Tips for Hareli:
- कब जाएँ: इस साल 24 जुलाई 2025 को, जब सावन की अमावस्या होगी।
- कैसे जाएँ: रायपुर हवाई अड्डे से फ्लाइट लें, या ट्रेन से जांजगीर-चांपा, रायपुर, या बिलासपुर पहुँचें। वहाँ से बस या टैक्सी लेकर गाँव जा सकते हैं। ट्रेन में जाने के लिए Indian Railways देखे।
- कहाँ रुकें: जांजगीर में छोटे गेस्टहाउस या रायपुर में होटल्स जैसे होटल बेबीलोन इंटरनेशनल उपलब्ध हैं।
- क्या करें: गेड़ी रेस और नारियल फेंकने की रेस देखें, लोक नृत्य में हिस्सा लें, और खुरमी रोटी, चीला, ठेठरी, और अरसा जरूर ट्राई करें।
Hareli Festival of Chhattisgarh का मजा लेने की तैयारी करें
तो दोस्तों, ये था मेरे Hareli Festival of Chhattisgarh की कहानी। ये त्यौहार सिर्फ एक उत्सव नहीं, बल्कि मेरे गाँव की आत्मा है। अगर आप Khubsurat Bharat के लिए इस त्यौहार को देखने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो जांजगीर जरूर आएँ। गेड़ी चढ़ें, नारियल फेंकें, खुरमी रोटी और अरसा खाएँ, और हाँ, मेरे तरह धड़ाम से गिरने की गलती न करें! हां और एक बात हरेली तिहार के कुछ दिन बाद रक्षाबंधन भी है। अगर आप इस बार के रक्षाबंधन में क्या खास होने वाला जानना चाहते हैं तो ये देखे।
मुझे आज भी मेरे दादी माँ की बात याद है, जब वो कहती थीं, “हरेली में हम सिर्फ फसल की नहीं, बल्कि अपने दिल की हरियाली की भी दुआ माँगते हैं।” उनकी बात मेरे दिल में बस गई। तो यार, इस बार हरेली में छत्तीसगढ़ आएँ, और मेरे जांजगीर की मिट्टी की खुशबू को महसूस करें और जांजगीर को एक्सप्लोर करे इन जगहों के साथ।
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