Jabalpur City Yatra : Narmada ke Sang Dhuandhar Waterfall se Madan Mahal Tak Ek Yaadgar Safar
नमस्ते दोस्तों, मैं हूं अमित। आप सबका स्वागत है मेरे सफर की एक और कहानी में। जैसा कि आप जानते हैं, मैं और मेरे dost Bhawani, Santosh और Ramu bike से Narmada Yatra कर रहे थे। इस सफर की शुरुआत हुई थी Amarkantak से, जहां से नर्मदा नदी का उद्गम होता है। हमने रास्ते में Kapildhara waterfall देखा, Mandla में रुके, फिर Dhuandhar waterfall Jabalpur और Bhedaghat Marble Rocks के अद्भुत नज़ारे लिए।
अब बारी थी Jabalpur city की – यानी वो शहर जहां culture, history, spirituality और modern lifestyle सब एक साथ मिलते हैं। सच कहूं तो Jabalpur मेरे लिए सिर्फ एक शहर नहीं, बल्कि हमारी इस Narmada Yatra का वो खास पड़ाव है जिसने इस सफर को और भी यादगार बना दिया।
हमारी यात्रा का मोड़ – Amarkantak से Jabalpur तक
Amarkantak से Kapildhara तक की ठंडी हवा, फिर Mandla के रास्ते के जंगल, और उसके बाद Dhuandhar waterfall की गरजती आवाज़ – ये सब अनुभव हमारे मन में ताज़ा थे। Bike ride पर हम तीनों दोस्त, कभी हंसी-मजाक करते, कभी नर्मदा की महिमा गुनगुनाते आगे बढ़ रहे थे।
Santosh ने रास्ते में कहा – “भाई अमित अब, Jabalpur पहुंचकर असली city life का भी टेस्ट लेंगे।” और सच में, Mandla की शांति और Dhuandhar की ताकत देखने के बाद Jabalpur की energy महसूस करने का अलग ही मजा था। जबलपुर पहुंचा तो बस दिल खुश हो गया। बारिश की बूंदों में भीगते हुए, चाय की टपरी पर रुकते हुए, और नर्मदा के किनारे बैठ के जिंदगी की बातें – ये सब वो पल हैं जो आज भी याद आते हैं तो मुस्कान आ जाती है।
Jabalpur city
Jabalpur city, यार, ये वो जगह है जहां नर्मदा मैया की लहरें, संगमरमर के पहाड़, और पुराने किलों की कहानियां एक साथ मिलती हैं। Marble City of India कहते हैं इसे, और सच में, ये नाम एकदम फिट बैठता है।
जबलपुर मध्य प्रदेश का वो शहर है, जो इतिहास, प्रकृति, और स्पिरिचुअलिटी का ऐसा मेल है कि आप खो जाओ। गोंड राजाओं का गढ़ रहा ये, रानी दुर्गावती की वीरता की गवाही देता है। आज भी Madan Mahal Fort खड़ा है, जैसे कह रहा हो, “आओ, मेरी कहानी सुनो।” Jabalpur tourist attractions की लिस्ट इतनी लंबी है कि दो-तीन दिन कम पड़ जाएं। लेकिन चिंता मत करो, मैं आपको एक-एक जगह घुमाऊंगा, जैसे हम चारों दोस्त बाइक पर घूमे थे। वो तो कहो, बारिश ने थोड़ा ट्विस्ट डाला, वरना हमारा प्लान तो बस “चलो, देखते हैं क्या होता है” वाला था।
जबलपुर का जादू – थोड़ा इतिहास, थोड़ा रोमांच
जबलपुर का नाम सुनते ही दिमाग में नर्मदा आती है। पुराने जमाने में इसे त्रिपुरी कहते थे, क्योंकि यहां तीन नदियां – नर्मदा, शंकर, और गोमती – मिलती थीं। ब्रिटिश काल में ये सेंट्रल प्रोविंसेस की राजधानी था। आज Jabalpur city facts की बात करें तो, करीब 1.5 मिलियन लोग रहते हैं, और ये भारत का 38वां सबसे बड़ा अर्बन क्लस्टर है। लेकिन यार, आंकड़े तो बस नंबर हैं, असली मजा तो गलियों में है। वो चाय की टपरी, जहां चाचा जी पूछते हैं, “कहां से आए हो बेटा?” वो पकोड़े की खुशबू, जो भूख जगा दे। हमने तो रास्ते में एक ढाबे पर रुक के मूंग दाल के पकौड़े खाए थे, रामू बोला, “ये तो स्वर्ग का टेस्ट है!”
Best time to visit Jabalpur है अक्टूबर से मार्च। सर्दियां इतनी सुहानी कि घूमने का मजा दोगुना। गर्मियां? भूल जाओ, 45 डिग्री तक पहुंच जाता है। मानसून में बारिश का मजा है, लेकिन सड़कें फिसलन भरी। हमारा ट्रिप august में था, अमरकंटक से जबलपुर तक बाइक पर। बारिश ने तो हमें भिगो-भिगो के रख दिया, लेकिन वो भी एक मजा था। रामू का बाइक एक बार स्किड हुआ, संतोष ने संभाला, और भवानी हंसते-हंसते लोटपोट।
Tips for Amarkantak to Jabalpur bike trip के लिए NH-45 लो, 230 किमी, 5-6 घंटे। हेलमेट, पानी, चार्ज्ड फोन रखो। रास्ते में ढाबों पर रुकना, और बारिश का मूड हो तो रेनकोट मत भूलना। MP Tourism guide पर रूट्स चेक कर लो।
Bhedaghat Marble Rocks
चलो, अब घूमना शुरू करते हैं। पहला स्टॉप – Bhedaghat marble rocks। यार, ये तो जबलपुर का दिल है। नर्मदा नदी संगमरमर के पहाड़ों के बीच से बहती है, जैसे कोई पेंटिंग जिंदा हो गई हो। शहर से 25 किमी, बाइक पर आधा घंटा। हम शाम को पहुंचे, सूरज डूब रहा था, और वो रंग – सफेद, गुलाबी, नीला। बोत राइड लिया, 300 रुपये में। गाइड ने बताया, कैसे पत्थर जानवरों के शेप ले लेते हैं – कोई हाथी, कोई मगरमच्छ।
पास ही Dhuandhar waterfall, 30 मीटर ऊंचा, धुंध की तरह पानी। मानसून में तो गजब का हो जाता है। लेकिन सावधानी बरतना बहाई, फिसलन होती है। भेड़ाघाट 8 किमी लंबा गॉर्ज, UNESCO tentative list में। भाई यहां सुबह या शाम को जाओ। और MP Tourism Bhedaghat पर टाइमिंग्स देखलो।
Bargi Dam
यार, Bargi Dam की बात करूं तो ये जबलपुर का वो रत्न है, जहां नर्मदा का पानी इंजीनियरिंग के कमाल के साथ मिलकर जादू बिखेरता है। शहर से 35 किमी दूर, NH-7 पर बाइक से एक घंटे में पहुंच जाओ, जैसे हम लोग गए थे – मैं, भवानी, संतोष और रामू, अमरकंटक से नर्मदा यात्रा के दौरान। 1974 से 1990 तक बना ये डैम, 90 MW बिजली बनाता है और नर्मदा वैली के 30 डैम्स में पहला है। बैकवॉटर्स इतने साफ कि लगे समंदर, और क्रूज राइड का मजा ही अलग – 300 रुपये में 45 मिनट का टूर, स्पीड बोटिंग, पैडल बोटिंग, बर्डवॉचिंग, सब कुछ।
हमने तो पिकनिक मना डाला, रामू ने फिशिंग ट्राई की, पर मछली ने उसे इग्नोर कर दिया, हंस-हंस के बुरा हाल! लेकिन सीरियस बात, डैम ने 5000 परिवारों को डिस्प्लेस किया था, आज टूरिज्म हब है। सनसेट टाइम बेस्ट, और हां, Jabalpur tourist places में इसे मिस मत करना। Wikipedia Bargi Dam पर इसके डिटेल्स मिल जाएगा।
Kachnar City Shiv Temple
अरे यार, Kachnar City Shiv Temple की बात करूं तो भाई, ये जबलपुर का वो स्पॉट है जो दिल को छू जाता है, जैसे कोई पुराना दोस्त मिला हो जो शांति बांट रहा हो। विजयनगर एरिया में बसा ये टेंपल, 76 फुट ऊंचे भगवान शिव के स्टैच्यू के लिए फेमस है, जो 2004 में बनना शुरू हुआ और 2006 में जनता के लिए खुला – ओपन स्काई के नीचे, ध्यान मुद्रा में बैठे महादेव, चार भुजाओं वाले, और नीचे गुफा में देशभर के 12 ज्योतिर्लिंगों की रेप्लिकास रखी हैं, जो देखते ही मन भर आता है।
हम तो शाम को पहुंचे थे अमरकंटक वाली बाइक ट्रिप के दौरान, भवानी के कहने पर, और वो लाइटिंग – सफेद स्टैच्यू रात में नीला हो जाता है, जैसे शिवजी खुद आ गए हों; आरती का समय 7 AM से 8 PM तक, एंट्री फ्री है, और मकर संक्रांति या महाशिवरात्रि पर तो धूम मच जाती है, लोग दूर-दूर से आते हैं।
रामू ने तो कहा, “अमित, यहां बैठ के सारी थकान उतर गई,” और सच, नंदी की मूर्ति के सामने वो जेट वॉटर का फव्वारा देख के मजा आ गया, लेकिन सीरियस बात ये कि पर्यावरण क्लीन रखो, क्योंकि चारों तरफ हरियाली है जो सुकून देती है। अगर Jabalpur tourist places में स्पिरिचुअल वाइब ढूंढ रहे हो, तो ये मिस मत करना, बस 8 किमी दूर जबलपुर जंक्शन से, ऑटो या बाइक से हो जाओ। Jabalpur district site पर इसके बारे में और डिटेल्स देख सकते हो।
Vishnu Varah Temple
यार, Vishnu Varah Temple की बात करूं तो ये जबलपुर के मझौली गाँव में बसा वो पुराना खजाना है, जो इतिहास और भक्ति का ऐसा मेल है कि देखते ही मन को सुकून मिल जाता है। 11वीं सदी में कलचुरी काल में बना ये मंदिर, कालांतर में ध्वस्त हो गया था, लेकिन 17-18वीं सदी में दोबारा खड़ा किया गया – आज का शिखर तो नया है, लेकिन गर्भगृह में खड़ी वो विशाल यज्ञ वराह की मूर्ति, हाथी जितनी बड़ी, 11वीं सदी की ही है, जिसमें वराह के नीचे शेषनाग अमृत कलश लिए अपनी पत्नी के साथ खड़े हैं, और ऊपर वराह के मुँह के पास योगासन में विष्णु जी विराजमान, साथ में देवमुनि, सिद्ध और गंधर्वों की नक्काशी।
मंदिर पूर्वमुखी है, दीवारों और परकोटे में पुरानी मूर्तियां जड़ी हैं, द्वार के सामने दशावतार वाला खंभा, और गंगा-यमुना की शाखाएं – हम तो रामू के जिद पर अमरकंटक वाली बाइक ट्रिप के दौरान 40 किमी दूर डायवर्ट हो गए थे, और वो शांति, जैसे समय रुक गया हो। संतोष बोला, “अमित, ये वराह तो हमारी बाइक से भी मजबूत लग रहा है!” लेकिन सच कहूं तो, ये जगह स्पिरिचुअल वाइब्स से भरी है, Jabalpur tourist places में हिस्टोरिकल टच के लिए परफेक्ट है। बस सिर झुकाकर घुसो गर्भगृह में। Jabalpur district site पर और डिटेल्स चेक कर लो। भाई मेरे होमटाउन जांजगीर में भी Vishnu Mandir है। मौका मिले तो यहां भी जरूर आयेगा।
Madan Mahal Fort
Madan Mahal Fort, यार, ये जबलपुर का वो किला है जो पहाड़ी पर खड़ा होके जैसे सारी दुनिया को चैलेंज दे रहा हो। 11वीं सदी में गोंड राजा मदन सिंह ने बनवाया, और रानी दुर्गावती की वीरता की कहानियां आज भी इसकी दीवारों में गूंजती हैं। 500 मीटर ऊंची पहाड़ी पर बसा, जहां से पूरा Jabalpur city ऐसा लगता है जैसे कोई पेंटिंग खुल गई हो। हम सुबह-सुबह पहुंचे, सनराइज देखने। वो सूरज की किरणें, किले की पुरानी दीवारों पर पड़ रही थीं, और मैं तो खो गया – लगा जैसे दादी की सुनाई वो कहानियां सच हो गईं, जब वो राजा-रानी की बातें बताती थीं। इसे देखकर तो मेरे Rajasthan Yatra ताजा हो गई।
सीक्रेट पासेज, वॉर रूम्स, और पास में Balancing Rock, जो भूकंप को भी ठेंगा दिखा देता है, देख के संतोष चिल्लाया, “अमित, ये पत्थर तो मेरे जिद्दी अंकल से भी मजबूत है!” भवानी ने फोटो खींचते हुए रामू को चिढ़ाया, “अरे, नीचे उतर, तू किले का गार्ड नहीं है!” हंसी-मजाक के बीच हमने ट्रेकिंग की, व्यूज का मजा लिया, लेकिन सच कहूं, वो शांति, वो हवा, जैसे जिंदगी को रिचार्ज कर दिया। Jabalpur tourist places में हिस्ट्री और नेचर का मिक्स चाहिए, तो ये मस्ट है। Tripadvisor Madan Mahal पर और डिटेल्स चेक कर लो।
Jabalpur more tourist places
Jabalpur tourist places सिर्फ यहीं खत्म नहीं। अरे यार, जबलपुर में Bhedaghat, Bargi Dam, Madan Mahal Fort और टेंपल्स के अलावा भी इतना कुछ है कि हर कोना अपनी कहानी सुनाता है, जैसे कोई पुराना दोस्त चाय की टपरी पर पुरानी यादें ताजा कर रहा हो।
हम Jabalpur tourist places की खोज में निकले थे, और यार, क्या-क्या नहीं देखा! Rani Durgavati Museum में गोंड और कलचुरी काल के ट्राइबल आर्टिफैक्ट्स देखे, जहां पुरानी मूर्तियां और हथियारों ने जैसे इतिहास को जिंदा कर दिया – मैं तो दादी की बताई कहानियों में खो गया, जो राजा-रानी की बातें सुनाया करती थीं। फिर Dumna Nature Reserve गया, जहां बर्डवॉचिंग और खंदारी तालाब में क्रोकोडाइल्स देखे – रामू ने तो दूरबीन लेकर मगरमच्छ को ताकते हुए बोला, “अमित, ये तो मेरे बॉस से ज्यादा खतरनाक लग रहा है!” और हंसी का ठिकाना न रहा।
Sangram Sagar Lake पर पिकनिक मारी, चारों यारों ने झील किनारे बैठ के चाय पी और भवानी ने फोटो खींचे, बोला, “ये तो इंस्टा पे ट्रेंड करेगा!” Chousath Yogini Temple भी गया, 10वीं सदी का, 64 योगिनियों का मंदिर, जहां शांति ऐसी कि मन ठहर गया। इन जगहों ने जबलपुर को और खास बना दिया, हर स्पॉट की अपनी वाइब – नेचर, हिस्ट्री, और थोड़ा मस्ती। और डिटेल्स चाहिए तो MP Tourism चेक कर लो।
जबलपुर का स्वाद
अरे यार, जबलपुर में खाने की बात करूं तो भाई, ये शहर तो खाने का जन्नत है, जहां हर गली में कुछ न कुछ ऐसा मिलेगा कि जीभ लचक जाएगी। यार, वो खाने के पल आज भी याद आते हैं – बारिश की बूंदों में गीले होके चाट की प्लेट थामे, या शाम को ढाबे पर पोहा-जलेबी का मजा लेते हुए। Jabalpur local food में तो स्ट्रीट फूड का राज है, लेकिन रेस्टोरेंट्स भी कमाल के हैं। चलो, मैं बता दूंगा क्या-क्या ट्राई करना है, जैसे हम चारों दोस्तों ने किया था, हंसते-हंसते पेट भर के।
पहले तो स्ट्रीट फूड की बात, यार, बिना इसके जबलपुर अधूरा। भुट्टे का कीस – वो गर्माहट भरा स्नैक, जहां मीठी भुट्टियां कद्दूकस करके मसालों के साथ मिलाई जाती हैं, नींबू निचोड़ के खाओ, सर्दियों में तो कमाल। हमने तो भेड़ाघाट घूमने के बाद एक ठेले पर रुके थे, रामू ने दो प्लेट मंगाईं और बोला, “अमित, ये तो नर्मदा का आशीर्वाद लग रहा है!” फिर आलू बंडा, जो आलू के चने वाले बंडल्स हैं, चटपटे मसाले के साथ – मझौली रोड पर मिलेगा, 20-30 रुपये में। और हां, दही फुलकी मत भूलना, वो कुरकुरे फुलके दही में डुबो के, ऊपर से चटनी – शाम को करमचंद चौक पर ट्राई करो, संतोष ने खाते वक्त आंसू पोछे थे मिर्च से, लेकिन बोला “दर्द का स्वाद ही अलग है!” पाव भाजी, समोसे, और मंटो की टिक्की – अंजुमन इस्लामिया स्कूल के सामने वाली, वो तो लीजेंड है, सर्विस ऐसी कि लगे दोस्त खिला रहा हो।
मीठे में मावा बाटी, मालपुआ – फेस्टिवल टाइम पर तो गर्मागर्म मिलेंगी, या फिर केसर दूध रबड़ी कमानिया गेट पर। Jabalpur street food की ये वैरायटी इतनी सस्ती है, 50-100 रुपये में पेट भर जाओ। Tripadvisor Street Food in Jabalpur पर और आइडियाज चेक कर लो।
अब रेस्टोरेंट्स की तरफ आते हैं, यार, अगर फैमिली के साथ हो या थोड़ा कम्फर्ट चाहिए, तो ये जगहें परफेक्ट। इंडियन कॉफी हाउस – वो तो जाबलपुर का दिल है, करमचंद चौक पर, साउथ इंडियन स्नैक्स, फिल्टर कॉफी, और पंजाबी भी। हमने ट्रिप के दौरान ब्रेकफास्ट किया था। Zomato Jabalpur पर रिव्यूज देखो, ऑर्डर भी कर सकते हो। यार, जबलपुर का खाना तो सिर्फ टेस्ट नहीं, एक्सपीरियंस है – वो स्ट्रीट पर भीड़ में खाना, या रेस्टोरेंट में बैठ के बातें करना। हमारी ट्रिप में तो हर शाम खाने का प्लान ही हाईलाइट था, भवानी ने तो कहा, “अमित, ये शहर खाने के बहाने घूमने लायक है!”
शॉपिंग – यादें पैक करो
यार, जबलपुर में शॉपिंग की बात करूं तो भाई, ये शहर तो खरीदारी का ऐसा बाजार है जहां हर गली में कुछ न कुछ ऐसा मिलेगा कि बैग भारी हो जाएं, लेकिन दिल हल्का। Jabalpur shopping markets ने तो हमें घंटों लपेटे में रखा – Sadar Bazaar में घूमते हुए ब्रास आइटम्स और चंदेरी साड़ियां देखीं, जहां रामू ने एक संगमरमर की छोटी स्टैच्यू उठाई और बोला, “अमित, ये तो भेड़ाघाट का मिनिएचर है, घर ले जाऊंगा!” हम हंस पड़े, लेकिन संतोष ने Kamaniya Gate पर जाकर ज्वेलरी ट्राई की, बोला “ये तो शादी का डील लग रहा है!” Gorakhpur Market में ब्रांडेड क्लोथ्स, Adhartal में होम डेकोर, और Mrignayani एम्पोरियम में महेश्वरी साड़ियां – वो तो इमोशनल हो गया, मां के लिए एक खरीदी, लगा जैसे नर्मदा मैया का आशीर्वाद हो।
South Avenue Mall में मॉडर्न वाइब, वाई-फाई और फूड कोर्ट के साथ, भवानी ने तो बोला “ये तो घूमने से ज्यादा शॉपिंग स्पॉट है!” बजट में सब कुछ, 100-500 रुपये से शुरू, बारगेनिंग का मजा अलग। Jabalpur shopping markets में हैंडीक्राफ्ट्स, टेराकोटा आर्ट्स, जूट क्राफ्ट्स – खूबसूरत भारत का ये कोना यादें पैक करने के लिए परफेक्ट। Tripadvisor Shopping in Jabalpur चेक कर लो या MakeMyTrip guide देख लो।
Jabalpur Culture and Festival
अरे यार, जबलपुर की संस्कृति और उत्सवों की बात करूं तो भाई, ये शहर तो जैसे रंगों और रौनक का मेला है, जहां नर्मदा की लहरें ताल पर थिरकती हैं। मैं Jabalpur culture की वो झलक देखी कि दिल खुश हो गया। यहां की संस्कृति गोंड और कलचुरी काल से आती है, ट्राइबल आर्ट, लोक नृत्य जैसे बदा और राई, और नर्मदा मैया की पूजा में डूबा माहौल।
उत्सवों में मकर संक्रांति पर कचनार सिटी शिव टेंपल में भक्ति की धूम, नवरात्रि में रानी दुर्गावती की याद में मेले, और दीवाली पर गलियों में रंगोली-दिए। छठ पूजा में नर्मदा किनारे हजारों लोग, और तिलवारा घाट पर माघ मेला – ऐसा लगता है पूरा शहर उत्सव में डूबा हो। यही तो खूबसूरत भारत का असली रंग है! Jabalpur festivals में लोकल खाना, मावा बाटी, और गाने-बजाने का माहौल – सब कुछ जिंदगी को रंग देता है। MP Tourism festivals चेक करो, और इस रौनक में शामिल हो जाओ!
Jabalpur कैसे पहुंचे
यार, जबलपुर पहुंचना तो इतना आसान है, जैसे घर से टपरी तक चाय पीने निकलना। मैं, भवानी, संतोष और रामू, अमरकंटक से बाइक भगाते हुए NH-7 पर आए थे, 230 किमी, 5-6 घंटे का रास्ता, बारिश में भीगते हुए – रामू ने तो गीला होके बोला, “अमित, ये तो नर्मदा का वेलकम है!”
रोड से आना हो तो बसें हैं, भोपाल से 400 किमी, नागपुर से 280 किमी, या अपनी गाड़ी लो। ट्रेन से Jabalpur Junction, शहर के बीच में, दिल्ली, मुंबई, कोलकाता से डायरेक्ट कनेक्शन हैं। हवाई रास्ता चाहिए तो Dumna Airport, 20 किमी दूर, दिल्ली-मुंबई से फ्लाइट्स, फिर ऑटो पकड़ लो। Jabalpur how to reach में सब ऑप्शन्स, बस MP Tourism चेक करो। खूबसूरत भारत का ये शहर बुला रहा है!
Jabalpur City Tourism (FAQs)
1. जबलपुर घूमने का सबसे अच्छा समय कब है?
यार, जबलपुर में अक्टूबर से मार्च तक की सर्दियां बेस्ट हैं। मौसम सुहाना, घूमने का मजा दोगुना। गर्मियां (अप्रैल-जून) में 45 डिग्री तक तपता है, और मानसून में बारिश मस्ती देती है, लेकिन सड़कें फिसलन भरी हो सकती हैं। हम तो अगस्त में गए थे, बारिश में भीगते हुए, रामू बोला, “अमित, ये तो नर्मदा का शावर है!” MP Tourism पर मौसम चेक कर लो।
2. जबलपुर कैसे पहुंचा जाए?
भाई, जबलपुर पहुंचना आसान है। बाइक से तो हम गए थे, अमरकंटक से NH-7 पर, 230 किमी, 5-6 घंटे। ट्रेन से Jabalpur Junction, दिल्ली-मुंबई से डायरेक्ट। हवाई रास्ता हो तो Dumna Airport, 20 किमी दूर, इंडिगो से फ्लाइट्स। बसें भी भोपाल, नागपुर से। संतोष ने स्टेशन पर चाय पीके कहा, “ये तो घर जैसा है!” Jabalpur official site देखो।
3. Jabalpur tourist places में टॉप स्पॉट्स कौन से हैं?
यार, भेड़ाघाट के मार्बल रॉक्स और धुंधार वॉटरफॉल मस्ट हैं। बरगी डैम पर क्रूज, मदन महल फोर्ट की हिस्ट्री, कचनार सिटी शिव टेंपल और विष्णु वराह टेंपल का सुकून। रानी दुर्गावती म्यूजियम और दुमना नेचर रिजर्व भी घूमो। भवानी ने फोटो खींचते हुए बोला, “हर कोना इंस्टा वर्थी है!” Tripadvisor Jabalpur चेक करो।
4. जबलपुर में क्या खाएं?
Jabalpur local food का जवाब नहीं! भुट्टे का कीस, आलू बंडा, दही फुलकी, और मंटो की टिक्की – करमचंद चौक पर ट्राई करो। रेस्टोरेंट में इंडियन कॉफी हाउस का पोहा-जलेबी, झरोखा का दाल बाफला। रामू ने टिक्की खाके कहा, “ये तो स्वर्ग है!” 50-300 रुपये में पेट भर जाओ। Zomato Jabalpur देख लो।
5. जबलपुर में शॉपिंग कहां करें?
Sadar Bazaar में ब्रासवेयर, Kamaniya Gate पर ज्वेलरी, Gorakhpur Market में कपड़े। Mrignayani में चंदेरी साड़ियां, और South Avenue Mall मॉडर्न वाइब के लिए। हमने भेड़ाघाट से मार्बल स्टैच्यू लिया, संतोष बोला, “ये तो घर का शोपीस बनेगा!” MakeMyTrip guide चेक करो।
6. जबलपुर में ठहरने के लिए अच्छी जगहें?
लक्जरी के लिए Kalchuri Residency, बजट में MPTDC होटल्स या OYO। रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड के पास गेस्टहाउस, 500-2000 रुपये में। हम रोड ट्रिप पर थे, तो छोटे लॉज में रुके, भवानी ने कहा, “बस, नर्मदा का व्यू चाहिए!” Booking.com Jabalpur पर ऑप्शन्स देखो।
7. क्या जबलपुर फैमिली ट्रिप के लिए अच्छा है?
एकदम परफेक्ट! भेड़ाघाट की बोत राइड, बरगी डैम पर पिकनिक, टेंपल्स का सुकून – बच्चे, बूढ़े, सबके लिए कुछ न कुछ। हम तो दोस्तों के साथ गए, लेकिन फैमिली वाइब भी फील हुई। रामू ने बोला, “अमित, अगली बार मम्मी-पापा को लाऊंगा!” MP Tourism family guide देख लो।
Jabalpur की वो यादें
यार, दोस्तो के साथ अमरकंटक से बाइक भगाते हुए, बारिश में भीगते, नर्मदा के किनारे चाय पीते, और जबलपुर के कोने-कोने में मस्ती करते हुए जो पल बिताए, वो तो दिल में बस्ते हैं। भेड़ाघाट की संगमरमर की चट्टानों से लेकर मदन महल की पुरानी दीवारों तक, हर जगह ने जैसे जिंदगी को नया रंग दिया – कहीं हंसी-मजाक, कहीं मां-बाप की याद में आंखों का नम होना। संतोष ने तो आखिरी दिन बोला, “अमित, ये शहर तो ऐसा है कि फिर बुलाएगा!” Jabalpur city tourism का ये सफर नेचर, हिस्ट्री और दोस्ती का मेल है। तो यार, खूबसूरत भारत का ये कोना छोड़ना मत, बाइक हो, ट्रेन हो, या हवाई जहाज, बस पहुंच जाओ। MP Tourism पर प्लान बनाओ, और नर्मदा मैया का आशीर्वाद लेके चल पड़ो!
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