Choti Diwali 2025: 16,000 और नरकासुर की वो कहानी! जानें क्यों कृष्ण ने किया था वध और क्या है यमराज से कनेक्शन?
हाय दोस्तों, मैं हूं अमित, खूबसूरत भारत ब्लॉग का वो राइटर जो हर कोने से कहानियां लाता है। याद है ना, पिछली बार मैंने राजस्थान के उन रेगिस्तानी गांवों की बात की थी जहां रेत के टीलों पर सूरज डूबते ही चांदनी बरसने लगती है? आज कुछ वैसा ही माहौल है मेरे मन में, क्योंकि कल ही Choti Diwali हैं। अरे यार, chhoti Diwali – वो festival जो दीवाली की चकाचौंध से एक कदम पीछे खड़ा होता है, लेकिन दिल को इतना छू जाता है कि लगता है, बस यही तो जिंदगी है। 2025 की ये छोटी दीवाली, 19 अक्टूबर को, जैसे कोई पुराना दोस्त लौट आया हो।
मैं सोच रहा था, क्यों ना आज आप सबको अपनी डायरी से कुछ पल शेयर करूं। खूबसूरत भारत की सैर करते हुए मैंने कई जगहों पर ये त्योहार देखा है – himachal की घाटियों से लेकर गुजरात के गांवों तक। कभी हंसते-हंसते, कभी आंखों में आंसू लाते हुए। तो चलो, चाय का कप थाम लो, और चल पड़ें इस सफर पर। छोटी दीवाली के बारे में बताता हूं, वो भी वैसा ही जो हम दोस्तों के बीच बैठे गप्पें मारते हैं। कोई लेक्चर नहीं, बस दिल की बात। और हां, अगर आप भी खूबसूरत भारत की इन परंपराओं को एक्सप्लोर करना चाहते हो, तो ब्रिटानिका के दीवाली ट्रेडिशन्स सेक्शन पर एक नजर डालना, वहां और भी मजेदार स्टोरीज हैं। लेकिन Choti Diwali के पहले Dhanteras puja के बारे में भी जान लेना।
Choti Diwali और बचपन की वो शामें
भाई, सबसे पहले तो अपनी पुरानी यादों से शुरू करता हूं। मैं पैदा हुआ हूं Janjgir के एक पुराने मोहल्ले में, जहां दीवारें इतनी पुरानी हैं कि लगता है वो भी त्योहारों की कहानियां सुन चुकी हैं। छोटी दीवाली, या नरक चतुर्दशी, मेरे लिए हमेशा से वो शाम रही है जब स्कूल से लौटते ही मां कहती, “अमित, जल्दी नहा लो, आज नहाने का खास स्नान है।” हाहा, याद है ना वो दिन? हम बच्चे तो बस पटाखों का इंतजार करते, लेकिन मां की वो ubtan वाली नहाने की रस्म – वो तो जैसे जादू थी। तिल, हल्दी, चंदन मिलाकर लगाओ, और फिर गर्म पानी से धो लो। लगता था, साल भर की सारी गंदगी उतर गई।
एक बार तो मैंने शरारत की थी, यार। भाई ने कहा था, “अमित, ये नहाना क्यों? अंधेरा तो कल आएगा।” मैंने सोचा, चलो मजे लूं, और ubtan को चेहरे पर ऐसे लगाया जैसे कोई मास्क पैक। रिजल्ट? पूरा चेहरा पीला हो गया, और पूरे मोहल्ले में हंसी का ठहाका लग गया। मां ने डांटा भी, लेकिन आंखों में वो प्यार था जो कह रहा था, “बेटा, ये सब तो Choti Diwali का मजा है।” आज सोचता हूं, तो लगता है, ये त्योहार सिर्फ रोशनी का नहीं, बल्कि उन छोटे-छोटे पलों का भी है जो हमें जोड़ते हैं।
Choti Diwali इतना special क्यों है?
अब आप सोच रहे होंगे, ये Choti Diwali इतनी स्पेशल क्यों है? चलो, थोड़ा पीछे चलते हैं। हिंदू कैलेंडर में ये कार्तिक मास की चतुर्दशी को मनाया जाता है, ठीक दीवाली से एक दिन पहले। नाम ही बता देता है – छोटी दीवाली। लेकिन इसका असली नाम नरक चतुर्दशी है, जो एक पुरानी कथा से जुड़ा है। अगर आप इसकी डिटेल्ड हिस्ट्री जानना चाहें, तो विकिपीडिया के नरक चतुर्दशी पेज पर एक नजर डाल लें – वहां पूरी बैकग्राउंड मिल जाएगी। भगवान कृष्ण ने नरकासुर नाम के राक्षस का वध किया था, जो लोगों को परेशान करता था। उसकी हार की खुशी में ये त्योहार मनाया जाता है। अरे, ये सुनकर तो लगता है जैसे कोई सुपरहीरो मूवी का क्लाइमेक्स, है ना? लेकिन दोस्त, असल जिंदगी में ये हमें सिखाता है कि बुराई पर अच्छाई की जीत होती है, चाहे वो कितनी भी बड़ी क्यों न हो।
मैंने खूबसूरत भारत घूमते हुए देखा है कि हर राज्य में इसका अपना रंग है। जैसे, दक्षिण भारत में इसे नरक नाशन कहा जाता है, और वहां लोग सुबह-सुबह तेल का दीपक जलाते हैं। अगर आप भी Choti Diwali rituals in South India जानना चाहते हो, तो टाइम्स ऑफ इंडिया के इस आर्टिकल को चेक करो, वहां साउथ के स्पेशल रिचुअल्स की डिटेल्स हैं। वहां की वो ताजा नारियल की खीर, भाई, आज भी मुंह में पानी भर आता है।
नरक चतुर्दशी की कथा: वो कहानी जो डराती भी है और हंसाती भी
चलो, अब थोड़ा serious हो जाते हैं, लेकिन वादा है, ज्यादा नहीं। छोटी दीवाली की मुख्य कथा है नरकासुर की। ये राक्षस इतना ताकतवर था कि देवताओं को भी डर लगता था। उसने 16,000 महिलाओं को कैद कर रखा था, और स्वर्ग के आभूषण भी लूट लिए थे। फिर आया भगवान कृष्ण, सत्यभामा के साथ। लड़ाई लड़ी, और अंत में नरकासुर का सिर काट दिया। जीत के बाद, कृष्ण ने उन महिलाओं को मुक्त किया, और सबने दीप जलाए। देखा? ये सिर्फ बुराई हराने की बात नहीं, बल्कि उन लोगों की आजादी की भी कहानी है जो दबे-कुचले होते हैं। और अगर आप इस कथा की और डीप डिटेल्स चाहें, तो ब्रिटानिका के दीवाली सेक्शन में नरक चतुर्दशी का मेंशन है, जो काफी ऑथेंटिक है।
मुझे याद है, एक बार मैं बनारस गया था, 2019 की छोटी दीवाली पर। गंगा के घाट पर बैठा था, और एक बाबा जी ने ये कथा सुनाई। वो कह रहे थे, “बेटा, नरकासुर हर उस बुराई का प्रतीक है जो हमारे अंदर छिपी है – लालच, क्रोध।” मैं हंस पड़ा, बोला, “बाबा जी, तो फिर पटाखे फोड़कर हम क्या बुराई भगाते हैं? शोर से?” वो भी हंस पड़े, और बोले, “अरे, शोर तो बहाना है, दिल साफ करने का असली तरीका है वो स्नान और पूजा।” यार, वो शाम ऐसी थी कि लगता था गंगा खुद बोल रही हो। अगर आप Choti Diwali stories from Varanasi एक्सप्लोर करना चाहो, तो हिंदुस्तान टाइम्स के बनारस दीवाली स्टोरी चेक कर लो – वहां फोटोज भी हैं, जो दिल छू लेंगे।
लेकिन दोस्त, हर कथा के पीछे एक इमोशनल साइड भी होता है। मेरी नानी की कहानी सुनो। वो बताती थीं, और उनके गांव में छोटी दीवाली पर एक रिवाज था – घर की दहलीज पर दीया जलाना, ताकि बुरी नजर न आए। दादी कहतीं, “अमित बेटा, ये दीया तेरी मां के लिए भी जलाया था, जब वो छोटी थीं।” आज जब मैं अकेले ट्रैवल करता हूं, तो हर होटल के कमरे में एक छोटा सा दीया जलाता हूं। लगता है, नानी साथ हैं। emotional हो गया ना? लेकिन यार, जिंदगी ऐसी ही है – हंसो, रोओ, लेकिन त्योहार मनाओ।
Choti Diwali के रीति-रिवाज: सिंपल स्टेप्स जो घर को स्वर्ग बना दें
अब आते हैं प्रैक्टिकल पार्ट पर। छोटी दीवाली मनाने के लिए क्या-क्या करें? भाई, ये कोई रॉकेट साइंस नहीं है। सबसे पहले, वो स्पेशल स्नान। सुबह उठो, तिल के तेल में ubtan मिलाओ – हल्दी, चंदन, बेसन सब डाल दो। नहाने के बाद लगेगा फ्रेश। फिर, घर की सफाई। अरे, ये दीवाली का बेसिक रूल है ना? लेकिन छोटी दीवाली पर खासतौर पर किचन को साफ करना, क्योंकि अगले दिन लक्ष्मी जी आने वाली हैं।
फिर पूजा का टाइम। शाम को चार दीपक जलाओ – एक यमराज के नाम, बाकी खुशी के लिए। मैं तो हर बार एक एक्स्ट्रा दीया जला देता हूं, अपनी ट्रैवल बुक के नाम पर। हाहा, शायद इसलिए मेरी यात्राएं सेफ रहती हैं। पटाखे? हां, लेकिन कम। छोटी दीवाली पर अनार, फुलझड़ियां – वो पुराने वाले, जो शोर कम करें। और हां, नरकासुर का प्रतीकात्मक वध – कुछ जगहों पर गुड़िया जलाते हैं, लेकिन मैं तो बस मन ही जलाता हूं अपनी बुराइयों को।
ट्रैवलर होने के नाते, मैंने कई जगहों पर ये रिवाज देखे। जैसे, महाराष्ट्र में गोवा के बीचों पर छोटी दीवाली मनाते हैं। सोचो, समंदर की लहरें और दीयों की रोशनी – magic! अगर आप Goa Choti Diwali celebrations प्लान कर रहे हो, तो टाइम्स ऑफ इंडिया के गोवा दीवाली गाइड देख लो। वहां लोकल फूड रेसिपीज भी हैं, जो ट्राई करने लायक। और रिचुअल्स की और डिटेल्स के लिए, ड्रिक पंचांग की ये साइट चेक करो – वहां तिथियां और पूजा टाइम्स सब सटीक हैं।
एक बार की बात बताता हूं, दोस्त। 2023 में मैं केरल गया था, और वहां छोटी दीवाली पर उन्होंने मुझे vilakku ennayum दिखाया – दीये जलाना। मैंने ट्राई किया, लेकिन मेरा हाथ कांप गया, और आधा तेल गिर गया। सब हंस पड़े, बोले, “अमित भाई, ये तो नरकासुर की तरह जल गया!” मैं भी जोर से हंसा, लेकिन अंदर से लगा, यही तो दोस्ती है। serious बात ये कि ये रिवाज हमें सिखाते हैं धैर्य।
Choti Diwali स्पेशल रेसिपीज: किचन से निकलें वो फ्लेवर्स जो याद रह जाएं
अरे, त्योहार बिना खाने के? नामुमकिन! छोटी दीवाली पर Chhattisgarhi थाली बनती है मेरे घर – खीर पूरी, दाल भात, और वो स्पेशल जिमी कांदा की सब्जी। लेकिन अगर आप साउथ इंडियन ट्विस्ट चाहो, तो बनाओ payasam। चावल, दूध, इलायची – बस, 20 मिनट में तैयार। मैं तो हमेशा एक चुटकी केसर डाल देता हूं, लगता है रॉयल।
एक बार पंजाब में था, अमृतसर। वहां छोटी दीवाली पर उन्होंने makki di roti और sarson da saag सर्व किया। ठंडी शाम, गर्म रोटी – भाई, स्वर्ग था। लेकिन मैंने ज्यादा खा लिया, और पटाखे फोड़ते वक्त पेट दर्द होने लगा। दोस्त ने कहा, “अमित, ये तो नरकासुर ने बदला ले लिया!” हंस-हंस के लोटपोट हो गए हम।
अगर आप home remedies for Choti Diwali sweets ट्राई करना चाहो, तो बीबीसी गुड फूड के दीवाली रेसिपीज पेज पर जाओ। वहां 10 आसान तरीके हैं, जो beginners के लिए परफेक्ट है। और हां, healthy twist के लिए coconut ladoo बनाओ – कोई चीनी नहीं, सिर्फ गुड़। मेरी बहन ने बनाया था लास्ट ईयर, और सबने तारीफ की। ये रेसिपीज दादी-नानी की याद दिलाती हैं, जो अब सिर्फ स्वाद में जिंदा हैं।
खूबसूरत भारत में छोटी दीवाली: हर राज्य का अपना फ्लेवर
दोस्तों, भारत तो रंगों का देश है ना? Choti Diwali यहां हर कोने में अलग-अलग मनाई जाती है। उत्तर भारत में ये नर्क नाशन है, जहां सुबह जल्दी उठकर पूजा करते हैं। राजस्थान में, जयपुर के हवेलियों पर दीये सजाते हैं – वो नजारा, जैसे कोई राजा का दरबार। मैं 2023 में वहां था, और एक लोकल फैमिली ने मुझे इनवाइट किया। उनके साथ बैठा, चाय पी, और सुना उनकी कहानियां। एक अंकल ने कहा, “अमित बेटा, ये त्योहार हमें याद दिलाता है कि अंधेरा कितना भी गहरा हो, एक दीया सब बदल देता है।” serious बात, लेकिन दिल को छू गई।
दक्षिण में, तमिलनाडु के मंदिरों में नरकासुर वध का ड्रामा होता है। बच्चे राक्षस बनते हैं, और सब हंसते हैं। गुजरात में, नवरात्रि के बाद ये पीक है – गरबा के बाद दीये। सोचो, डांस और लाइट्स का कॉम्बो! अगर आप Gujarat Choti Diwali traditions जानना चाहो, तो हिंदुस्तान टाइम्स के गुजरात दीवाली कस्टम्स पढ़ो। वहां वीडियोज भी हैं।
पश्चिम बंगाल में? दुर्गा पूजा के बाद छोटी दीवाली पर काली पूजा का मिश्रण। कोलकाता की सड़कें, मिठाइयों से लबालब। मैं वहां गया था 2017 में। लॉकडाउन के दौरान घर पर ही मनाया, लेकिन पड़ोसियों के साथ। वो पल emotional था – जैसे सारी दुनिया बंद हो, लेकिन त्योहार न रुके। मेरी कोशिश सैंडेश बनाने की फेल हो गई, बन गया गुड़। सबने खाया, बोले, “अमित, ये तो नया फ्लेवर है!”
ईस्ट में, असम के चाय बागानों में छोटी दीवाली शांत मनाई जाती है। चाय की खुशबू और दीयों की रोशनी – poetic लगता है। मैंने ट्राई किया, एक लोकल गाइड के साथ। वो बोला, “भाई, यहां नरकासुर नहीं, जंगली जानवरों से लड़ना पड़ता है।” हंस पड़े हम। अगर Northeast India Choti Diwali celebrations इंटरेस्टिंग लगे, तो टाइम्स ऑफ इंडिया के ईस्टर्न दीवाली ट्रेडिशन्स को बुकमार्क कर लो।
और केरल? वहां onam vibes मिक्स हो जाते हैं। नारियल के शेल में दीये जलाते हैं। बैकवाटर्स पर बोट से ये देखना – dream! 2024 में मैं वहां था, और एक फैमिली के साथ डिनर किया। उनकी बेटी ने कहा, “अंकल, आपकी स्टोरीज सुनकर लगता है, भारत कितना बड़ा है।” मैं emotional हो गया, बोला, “बेटा, ये त्योहार ही तो हमें जोड़ते हैं।”
ट्रैवल टिप्स: छोटी दीवाली पर कहां जाएं, कैसे प्लान करें
यार, अगर आप प्लान कर रहे हो 2026 की छोटी दीवाली पर घूमने का, तो सुनो मेरी ये प्रैक्टिकल टिप्स – मैंने खुद कई बार ट्राई की हैं, तो गलतियां भी बताता हूं। सब कुछ सिंपल रखा है, ताकि आपका ट्रिप स्मूथ हो जाए।
बेस्ट स्पॉट्स चुनो: अमृतसर जाओ तो गोल्डन टेम्पल की रोशनी देखो – वो तो जैसे सोने का महल लगता है। या ऊटी, जहां पहाड़ियां दीयों से जगमगा उठती हैं। बनारस के घाट भी कमाल हैं, गंगा आरती के साथ।
बजट प्लान: 10-15 हजार में हो जाएगा पूरा ट्रिप, अगर ट्रेन से जाओ। फ्लाइट्स महंगे पड़ेंगे, लेकिन IRCTC ऐप से एडवांस बुकिंग कर लो। होटल? लोकल गेस्टहाउस चुनो, 1-2 हजार रात का।
पैकिंग हैक्स: warm clothes पैक करो, क्योंकि अक्टूबर में ठंड लग सकती है। एक छोटा ubtan किट ले जाओ – तिल का तेल, हल्दी – ट्रेडिशनल स्नान के लिए। कैमरा या फोन चार्जर मत भूलना, फोटोज के लिए।
गलतियां अवॉइड करो: एक बार की गलती बताता हूं – 2018 में जयपुर गया, लेकिन होटल बुक नहीं किया। रिजल्ट? रोड पर रुकना पड़ा। दोस्त ने कहा, “अमित, ये तो नरकासुर का बदला!” तो lesson: MakeMyTrip या Booking.com से advance बुकिंग। और लोकल फूड ट्राई करो, लेकिन ज्यादा मत खाओ – पेट की प्रॉब्लम हो जाएगी।
emotional टच ऐड करो: इन ट्रिप्स में फैमिली को मिस करते हो, तो वीडियो कॉल कर लो। मेरी मां कहती हैं, “बेटा, दीया जलाना मत भूलना।” लोकल फैमिलीज से मिलो, उनकी स्टोरीज सुनो – यही तो असली मजा है।
अगर आप complete travel guide for Choti Diwali in India चाहते हो, तो ट्रिपएडवाइजर के दीवाली इवेंट शेड्यूल पढ़ो। वहां मैप्स, बजट, सब है। और डेट्स कन्फर्म करने के लिए, इकोनॉमिक टाइम्स का ये आर्टिकल देख लो – वहां 2025 की चोटी दीवाली की एग्जैक्ट डेट्स हैं। और Khubsurat Bharat पर इन सभी जगहों को पहले explorer कर लो।
क्यों मनाएं छोटी दीवाली? वो रीजन जो दिल को छू लें
दोस्त, serious मोड ऑन। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में छोटी दीवाली हमें रुकने को कहती है। वो स्नान, वो पूजा – ये सब स्ट्रेस बस्टर्स हैं। साइंस भी कहता है, लाइट थेरेपी मूड अच्छा करती है। लेकिन असल में, ये फैमिली बॉन्डिंग का टाइम है। लास्ट ईयर, पापा बीमार थे। मैं घर लौटा, छोटी दीवाली मनाई। वो बेड पर लेटे, लेकिन मुस्कुरा रहे थे। वो मुस्कान, प्राइसलेस।
पटाखों से pollution, लेकिन हम तो eco-friendly दीये जलाते हैं। दोस्त ने कहा, “अमित, तू तो ग्रीन नरकासुर है!” हंसते रहे। लेकिन ये त्योहार हमें याद दिलाता है, जिंदगी छोटी है, रोशनी फैलाओ।
Choti Diwali FAQ: छोटी दीवाली से जुड़े आपके सवालों के जवाब
यार, सोचा क्यों ना कुछ कॉमन सवालों के जवाब दे दूं, जो दोस्तों से सुनता रहता हूं। ये FAQ सेक्शन खासतौर पर आपके लिए, ताकि सब क्लियर हो जाए।
Q1: छोटी दीवाली कब मनाई जाती है?
A: छोटी दीवाली, या नरक चतुर्दशी, दीवाली से एक दिन पहले आती है। 2025 में ये 19 अक्टूबर को थी, लेकिन अगले साल डेट चेक करने के लिए पंचांग देख लो। कार्तिक मास की चतुर्दशी तिथि पर। या इसे देखो Diwali Kab Hai 2025: यारों, इस बार दीवाली का तड़का कब लगेगा?
Q2: छोटी दीवाली के मुख्य रीति-रिवाज क्या हैं?
A: सबसे बड़ा है अभ्यंग स्नान – तेल-उबटन से नहाना। फिर शाम को दीपक जलाना, नरकासुर वध की कथा पढ़ना, और हल्के पटाखे फोड़ना। पूजा में यमराज को भी याद करते हैं। सिंपल लेकिन पावरफुल!
Q3: नरकासुर की कथा क्या है, और इसका महत्व क्या?
A: नरकासुर एक राक्षस था जिसने स्वर्ग लूट लिया था। कृष्ण ने उसे मारा, और बुराई पर अच्छाई की जीत हुई। ये हमें सिखाता है कि अंदर की नकारात्मकता को भगाओ। ज्यादा डिटेल्स के लिए विकिपीडिया चेक करो, ऊपर लिंक दिया है।
Q4: छोटी दीवाली पर क्या खाना बनाएं?
A: घरेलू स्टाइल में खाखरा, फाफड़ा या payasam ट्राई करो। हेल्दी ऑप्शन? नारियल के लड्डू। लेकिन याद रखो, ज्यादा मीठा मत खाओ, वरना पेट की कहानी बन जाएगी!
Q5: क्या छोटी दीवाली पर पटाखे फोड़ना जरूरी है?
A: ट्रेडिशनल रूप से हां, लेकिन आजकल इको-फ्रेंडली तरीके अपनाओ। अनार या फुलझड़ियां ठीक हैं, लेकिन pollution से बचो। असली मजा तो दीयों की रोशनी में है।
Q6: दक्षिण भारत में छोटी दीवाली कैसे अलग है?
A: वहां इसे नरक नाशन कहते हैं, और सुबह तेल का दीपक जलाते हैं। गोवा में नरकासुर की गुड़िया जलाते हैं। साउथ का फ्लेवर यूनिक है, टाइम्स ऑफ इंडिया का लिंक ऊपर है।
आखिरी में, एक मैसेज आपके लिए
भाई, छोटी दीवाली की ये रातें हमें याद दिलाती हैं कि जिंदगी की हर अंधेरी कोने में एक दीया छिपा होता है, बस उसे जलाने की हिम्मत चाहिए। खूबसूरत भारत की इन गलियों से, जहां हर त्योहार एक नई कहानी बुनता है – हंसी, आंसू, शरारतें सब मिलाकर। तो चलो, इस बार घर पर रहकर भी बाहर घूम आएं, फैमिली के साथ ubtan लगाएं, नरकासुर की कथा सुनें, और वो स्पेशल payasam बनाकर खाएं जो दादी की याद दिला दे।
तो दोस्त Diwali 2025 और Dhanteras के बारे में भी देख लो फिर अगली पोस्ट में मिलते हैं किसी नए सफर की बातों के साथ, लेकिन कमेंट्स में जरूर बताना, तुम्हारी छोटी दीवाली कैसी गुजरी? शेयर करो यार, ये ब्लॉग तो हम सबका है। जय हिंद, और रोशनी बरसाओ हर तरफ!
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