Khutaghat Dam : खूंटाघाट डैम की सैर – एक दोस्ताना ट्रैवल स्टोरी
हाय दोस्तों, मैं हूँ तुम्हारा यार, अमित, जो आज लेके आया है Khutaghat Dam की एक ऐसी कहानी, जो सुनकर तुम्हारा मन करेगा कि अभी बैग उठाओ, बाइक स्टार्ट करो और निकल पड़ो बिलासपुर की ओर! ये पोस्ट मैं Khubsurat Bharat में खास तौर पे लिख रहा हूँ, और यकीन मानो, ये वो कहानी है जो मैंने अपने दोस्तों नवीन, दया और बलगोविंद के साथ कल ही जी कर आया हूँ। तो चलो, थोड़ा मज़ा, थोड़ा इमोशन, और ढेर सारी यादें बटोरते हुए चलते हैं Khutaghat Dam की सैर पर। ये पोस्ट ऐसी है कि तुम्हें लगेगा मैं तुम्हारे सामने बैठकर अपनी ट्रिप की कहानी सुना रहा हूँ।
Khutaghat Dam : वो जगह जहाँ प्रकृति दिल चुरा लेती है
Khutaghat Dam छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में रतनपुर के पास बसा एक ऐसा picnic spot है, जो हर घुमक्कड़ के लिए किसी जन्नत से कम नहीं। मैं, नवीन, दया और बलगोविंद कल सुबह-सुबह जांजगीर से निकले थे। हम बाइक पर Baloda और छोटे-छोटे गाँवों से होते हुए, पहाड़ी रास्तों की सैर करते हुए यहाँ पहुँचे। यार, बाइक पर सैर करने का मज़ा ही अलग है! हवा के झोंके, आसपास की हरियाली, और वो घुमावदार पहाड़ी रास्ते जो हर मोड़ पर कुछ नया दिखाते हैं। Khutaghat Dam तक पहुँचने का रास्ता इतना खूबसूरत है कि तुम रास्ते में ही कहीं रुककर फोटो खींचने लग जाओ।
रास्ते में हमने एक गांव के चौराहे पर एक छोटे से होटल पर रुककर गरमा-गरम बड़े का मज़ा लिया। यार, वो गांव की होटल की बड़े और वो खट्टा-मीठा चटनी के साथ प्याज, बस पूछो मत! नवीन तो बोला, “भाई, अगर खुटाघाट इतना ही मज़ेदार हुआ ना, तो ये ट्रिप यादगार हो जाएगी!” और सचमुच, ऐसा ही हुआ। अगर तुम भी ऐसी ट्रिप्स के शौकीन हो, तो Incredible India पर छत्तीसगढ़ के और भी खूबसूरत डेस्टिनेशन्स चेक कर सकते हो।
Khutaghat Dam का इतिहास और उसकी कहानी
Khutaghat Dam, जिसे संजय गांधी जलाशय भी कहते हैं, बिलासपुर से करीब 32 किलोमीटर और रतनपुर से 7-10 किलोमीटर की दूरी पर Kharang River पर बना है। ये डैम 1926 में ब्रिटिश काल में बनना शुरू हुआ और 1961 में पूरा हुआ। सुनने में आया है कि इसके बनने के दौरान 208 गाँव डूब गए थे, जो अपने आप में इसकी विशालता को दर्शाता है। Khutaghat Dam का नाम भी एक मज़ेदार कहानी से जुड़ा है। कहते हैं कि जब डैम बन रहा था, तो जंगल के पेड़ नहीं काटे गए। पानी भरने पर पेड़ों के ठूंठ (खूँटे) पानी में रह गए, जो मछुआरों की नावों से टकराते थे। इसीलिए इसका नाम पड़ा Khutaghat।
और हाँ, एक और दिलचस्प बात! जब डैम का पानी सूखता है, तब तेंदू के पेड़ों के मजबूत ठूंठ दिखते हैं, जिनसे गाँव वाले छड़ियाँ बनाते थे। कुछ अमीर लोग तो इन छड़ियों में चाँदी या पीतल की मूठ लगवाकर आज भी शान से रखते हैं। दया ने ये कहानी सुनकर मज़ाक में कहा, “यार, ये तो इतिहास और प्रकृति का मिक्सचर है!” और सचमुच, Khutaghat Dam में इतिहास, प्रकृति, और शांति का अनोखा मेल है। अगर तुम्हें ऐसे ऐतिहासिक स्थानों की और जानकारी चाहिए, तो Chhattisgarh Tourism की वेबसाइट पर ढेर सारी डिटेल्स मिलेंगी।
कैसे पहुँचे Khutaghat Dam?
अब अगर तुम सोच रहे हो कि Khutaghat Dam तक कैसे पहुँचा जाए, तो मैं तुम्हें बता दूँ कि ये बहुत आसान है। हम तो बाइक से गए थे, जांजगीर से बलौदा होते हुए, और रास्ते में Bilaspur-Ambikapur highway पर चलते हुए। ये हाईवे इतना स्मूथ है कि बाइक चलाने का मज़ा दोगुना हो जाता है। अगर तुम बिलासपुर से आ रहे हो, तो ये डैम करीब 32 किलोमीटर दूर है। रतनपुर से तो बस 7-10 किलोमीटर की दूरी है।
- ट्रेन से: बिलासपुर रेलवे स्टेशन सबसे नज़दीकी है। यहाँ से तुम टैक्सी या बाइक किराए पर ले सकते हो।
- हवाई जहाज़ से: बिलासपुर का Bilasa Devi Kevat Airport सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा है, जो शहर से 13 किलोमीटर दूर है।
- बस या टैक्सी से: बिलासपुर से रतनपुर और खुटाघाट के लिए बस और टैक्सी आसानी से मिल जाती हैं।
रास्ते में हम Boirpadav नाम के एक छोटे से picnic spot पर रुके, जहाँ चारों तरफ हरियाली और शांति थी। वहाँ कुछ देर बैठकर हमने फोटो खींचे और प्रकृति का मज़ा लिया। बलगोविंद तो बोला, “भाई, ये जगह तो इतनी खूबसूरत है कि यहाँ टेंट लगाकर रात बितानी चाहिए!” अगर तुम भी ऐसी ऑफबीट जगहों की तलाश में हो, तो Tripadvisor पर खुटाघाट और आसपास की जगहों के रिव्यूज़ चेक कर सकते हो।
Khutaghat Dam की खूबसूरती और मज़ा
जब हम Khutaghat Dam पहुँचे, तो यार, वो नज़ारा देखकर हम सबके मुँह से बस “वाह!” निकला। चारों तरफ हरे-भरे जंगल, पहाड़ियाँ, और बीच में नीला पानी। ऐसा लग रहा था जैसे कोई पेंटिंग जीवंत हो गई हो। Khutaghat Dam की खासियत है इसका शांत माहौल। यहाँ ना शहर की भागदौड़ है, ना शोर-शराबा। बस तुम, तुम्हारे दोस्त, और nature।
हमने वहाँ boating का मज़ा लिया। सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक बोटिंग की सुविधा मिलती है। नवीन तो बोट चलाने में इतना मस्त हो गया कि बोला, “भाई, मैं तो यहाँ का मछुआरा बन जाऊँ!” हम सब हँस पड़े। बोटिंग के दौरान पानी की लहरें, आसपास की हरियाली, और हल्की-हल्की हवा – यार, वो फीलिंग को शब्दों में बयान करना मुश्किल है। Chhattisgarh Tourism की वेबसाइट (Chhattisgarh Tourism) पर तुम बोटिंग की टाइमिंग और चार्जेज़ की डिटेल्स चेक कर सकते हो।
वहाँ एक छोटा सा गार्डन भी है, जो बच्चों और परिवार वालों के लिए परफेक्ट है। हमने वहाँ बैठकर आइस्क्रीम खाते हुए कुछ देर गप्पे मारीं और अपने बचपन की पिकनिक की यादें ताज़ा कीं। दया ने तो अपनी पुरानी पिकनिक की कहानी सुनाई, जब वो अपने स्कूल ट्रिप में नदी में गिर गया था। हम सब इतना हँसे कि पेट में दर्द हो गया।
खुटाघाट डैम में क्या-क्या करें?
Khutaghat Dam सिर्फ़ देखने की जगह नहीं, बल्कि एक ऐसा tourist attraction है, जहाँ तुम ढेर सारी चीज़ें कर सकते हो। यहाँ मैं तुम्हें कुछ टिप्स देता हूँ, जो हमने आज आज़माए:
- बोटिंग का मज़ा: अगर तुम पानी में मस्ती करना चाहते हो, तो बोटिंग ज़रूर ट्राई करो। ये सस्ती भी है और मज़ेदार भी।
- ट्रेकिंग: आसपास की पहाड़ियों में हल्की-फुल्की trekking के रास्ते हैं। हमने थोड़ा ट्रेक किया और ऊपर से डैम का नज़ारा देखा – बस, दिल खुश हो गया।
- पिकनिक: अपने साथ खाना, चटाई, और ब्लूटूथ स्पीकर ले जाओ। गार्डन में बैठकर खाना खाने का मज़ा ही अलग है। हमने तो घर से पराठे और आचार लाया था, जो होटल के बड़े से ज़्यादा मज़ेदार लगा।
- फोटोग्राफी: अगर तुम फोटोग्राफी के शौकीन हो, तो यहाँ तुम्हें ढेर सारे इंस्टा-वर्थी स्पॉट्स मिलेंगे। खासकर सूरज ढलते वक्त का नज़ारा तो कमाल का होता है।
- शिव मंदिर दर्शन: गर्मियों में जब पानी का स्तर कम होता है, तो डैम के बीच में एक Lord Shiva temple नज़र आता है। हम तो मॉनसून में गए थे, तो पानी ज़्यादा था, लेकिन स्थानीय लोगों ने बताया कि ये मंदिर देखने लायक है।
Khutaghat Dam के आसपास और क्या देखें?
इस खूबसूरत Dam के आसपास और भी कई जगहें हैं, जो तुम्हारी ट्रिप को और मज़ेदार बना सकती हैं। हमने तो Mahamaya Devi Temple भी विज़िट करने का प्लान बना लिया था लेकिन समय की कमी से नहीं जा पाए, लेकिन आप जरूर जाएगा। ये रतनपुर में डैम से बस 7 किलोमीटर दूर है। ये मंदिर बहुत पुराना और आध्यात्मिक है। वहाँ का शांत माहौल और खूबसूरत नक्काशी देखकर मन को सुकून मिलेगा। मैं बहुत जल्द यहां के बारे में तुमसे से रूबरू कराउंगा। तब तक तुम मंदिर के बारे में और जानने के लिए Incredible India पर एक नज़र डाल सकते हो।
अगर तुम्हारे पास समय हो, तो Achanakmar Wildlife Sanctuary भी जा सकते हो, जो बिलासपुर से करीब 60 किलोमीटर दूर है। वहाँ जंगल सफारी का मज़ा ले सकते हो। हम तो समय की कमी की वजह से नहीं जा पाए, लेकिन नवीन ने प्लान बना लिया कि अगली बार ज़रूर जाएँगे।
ढाबे का खाना और रास्ते की मस्ती
वापसी में हम Bilaspur-Ambikapur road पर एक ढाबे पर रुके। यार, ढाबे का खाना तो बस लाजवाब था! हमने दाल-तड़का, पनीर मसाला, और गरमा-गरम रोटियाँ ऑर्डर कीं। बलगोविंद तो बोला, “भाई, ये खाना खाकर तो लग रहा है जैसे घर में बनाया हो!” ढाबे वाला भैया भी बड़ा मज़ाकिया था। उसने हमसे पूछा, “खुटाघाट गए थे? अगली बार मछली पकड़ने जाइयो, वहाँ की मछली बहुत टेस्टी होती है!” अगर तुम भी ढाबे के खाने के शौकीन हो, तो Tripadvisor पर बिलासपुर के बेस्ट ढाबों की लिस्ट चेक कर सकते हो।
रास्ते में हमने कुछ और फोटो खींचे, खासकर उन पहाड़ी रास्तों पर, जहाँ हर मोड़ पर नया नज़ारा था। Nature का वो जादू, जो तुम्हें शहर की भागदौड़ से दूर ले जाता है, वो खुटाघाट के रास्तों में बिखरा पड़ा है।
मेरा निजी अनुभव और इमोशन्स
यार, सच बताऊँ, Khutaghat Dam की सैर मेरे लिए सिर्फ़ एक ट्रिप नहीं थी। ये उन पलों में से एक थी, जब तुम अपने दोस्तों के साथ हँसते हो, पुरानी बातें याद करते हो, और ज़िंदगी के छोटे-छोटे पलों को जी लेते हो। आज जब हम वहाँ बैठे थे, तो मुझे अपने कॉलेज के दिन याद आ गए, जब हम ऐसे ही बाइक पर निकल पड़ते थे बिना किसी प्लान के।
नवीन ने एक बार मज़ाक में कहा, “भाई, अगर ज़िंदगी में सब कुछ प्लान करके चलें, तो मज़ा कहाँ?” और वो बात मेरे दिल को छू गई। Khutaghat Dam ने मुझे यही सिखाया – कि कभी-कभी बिना प्लान के निकल पड़ो, प्रकृति की गोद में कुछ पल बिताओ, और ज़िंदगी के छोटे-छोटे मज़े लो। ऐसे नहीं मैं और नवीन एक बार बिना प्लान के barnawapara Wildlife Sanctuary चले गए थे और जंगल में भटक गए थे।
खुटाघाट डैम जाने का सही समय
अगर तुम Khutaghat Dam जाने का प्लान बना रहे हो, तो मानसून (जुलाई से सितंबर) सबसे बेस्ट टाइम है। इस दौरान डैम का पानी ओवरफ्लो करता है, और आसपास की हरियाली अपने पूरे शबाब पर होती है। हम तो कल मानसून में ही गए थे, और वो नज़ारा देखकर बस मन खुश हो गया। सर्दियों में (अक्टूबर से मार्च) भी यहाँ का मौसम सुहाना रहता है, और trekking के लिए बढ़िया है। मानसून में छत्तीसगढ़ में और घूमना चाहते हो तो Nagarda Waterfall और Botalda Waterfall के मेरे दोस्तों संग मस्ती का कहानी देख सकते हो।
बस, मानसून में जाने से पहले ये चेक कर लो कि रास्ते में पानी तो नहीं भरा, क्योंकि बारिश में कभी-कभी रास्ते थोड़े मुश्किल हो सकते हैं। और हाँ, अगर तुम्हें मौसम और ट्रैवल टिप्स चाहिए, तो Chhattisgarh Tourism पर ढेर सारी जानकारी मिलेगी।
कुछ ज़रूरी टिप्स
- क्या ले जाएँ: अपने साथ पानी की बोतल, स्नैक्स, और एक चटाई ज़रूर ले जाएँ। वहाँ खाने-पीने की ज़्यादा दुकानें नहीं हैं।
- कपड़े: हल्के और आरामदायक कपड़े पहनें। अगर मॉनसून में जा रहे हो, तो रेनकोट या छाता साथ रखो।
- स्वच्छता: दोस्तों, जगह की खूबसूरती बनाए रखने के लिए कचरा न फैलाएँ। हमने वहाँ कुछ प्लास्टिक बोतलें देखीं, जो पर्यटकों ने फेंकी थीं। थोड़ा ध्यान रखो, यार, ये हमारी ज़िम्मेदारी है।
- रेस्ट हाउस: अगर तुम रात रुकना चाहते हो, तो छत्तीसगढ़ टूरिज़म का Tourist Rest House बुक कर सकते हो। वहाँ से डैम का नज़ारा कमाल का दिखता है। बुकिंग के लिए Chhattisgarh Tourism पर जा सकते हो।
Khutaghat Dam और खूबसूरत भारत
Khutaghat Dam उन जगहों में से है, जो Khubsurat Bharat की आत्मा को दर्शाता है। ये वो भारत है, जहाँ प्रकृति, इतिहास, और संस्कृति एक साथ मिलते हैं। यहाँ की शांति, हरियाली, और सादगी तुम्हें अपने देश की खूबसूरती से और प्यार करने पर मजबूर कर देती है।
मैं, नवीन, दया, और बलगोविंद आज की इस ट्रिप से इतने खुश हैं कि अगली बार फिर से आने का प्लान बना रहे हैं। और हाँ, अगर तुम भी Khutaghat Dam की सैर करो, तो अपनी कहानी ज़रूर शेयर करना। Khubsurat Bharat में ऐसी ही कहानियाँ हमें और करीब लाती हैं।
तो दोस्तों, अब और क्या? बैग तैयार करो, अपने यार-दोस्तों को बुलाओ, और निकल पड़ो Khutaghat Dam की सैर पर। और हाँ, रास्ते में रुककर बड़ा और चाय ज़रूर ट्राई करना!
तुम्हारा यार, एक घुमक्कड़ ट्रैवलर अमित
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