विष्णु मंदिर जांजगीर छत्तीसगढ़ | Vishnu Temple Janjgir Chhattisgarh
खूबसूरत भारत में आज हम आपको ले चलेगें छत्तीसगढ़ के एक ऐसे मंदिर जहां रामायण से जुड़े सबसे ज्यादा दृश्य देखने को मिलता है, तो चलिए देखते है नकटा मंदिर कहे जाने वाले 11 वी शदी में बने विष्णु मंदिर को।
कहाँ पर है विष्णु मंदिर?
विष्णु मंदिर छत्तीसगढ़ के दक्षिण कोशल क्षेत्र में कल्चुरी नरेश जाज्वल्य देव प्रथम द्वारा जांजगीर में भीमा तालाब के किनारे 11 वीं शताब्दी में निर्मित भारतीय स्थापत्य का अनुपम उदाहरण है। मंदिर का निर्माण एक ऊँची जगती पर हुआ है। ये पूरा परिक्षेत्र बेहद शानदार है।
कैसा है जांजगीर स्थित विष्णु मंदिर
जांजगीर में स्थित यह विष्णु मंदिर इस जिले के सुनहरे अतीत को दर्शाता है। यह विष्णु मंदिर वैष्णव समुदाय का एक प्राचीन कलात्मक नमूना जिसे नकटा मन्दिर के नाम से भी जाना जाता है। मन्दिर का निर्माण दो भागों में शुरू किया गया था, लेकिन कोई भी भाग पूरा नहीं हो पाया। इसलिए यह मन्दिर आज भी अधूरा पड़ा हुआ है। पूर्वाभिमुखी यह शानदार मंदिर सप्तरथ योजना से बना हुआ है। मंदिर में शिखर हीन विमान मात्र है। गर्भगृह के दोनो ओर दो कलात्मक स्तंभ है जिन्हे देखकर ऐसा लगता है। कि पुराने समय में मंदिर के सामने महामंडप निर्मित था।
मंदिर में बने देवताओं के चित्र
मन्दिर की दिवारों पर देवताओं, गन्धर्वो और किन्नरों के सुन्दर चित्र बेहद शानदार है। मंदिर के चारों ओर अत्यन्त सुंदर एवं अलंकरणयुक्त प्रतिमाओ का अंकन है जिससे पता चलता है कि तत्कालीन मूर्तिकला का विकास कितना शानदार था।
गर्भगृह के प्रवेश द्वार के दोनो ओर देवी गंगा और जमुना के साथ द्वारपाल जय-विजय स्थित हैं। इसके अलावा त्रिमूर्ति के रूप में ब्रह्मा, विष्णु और महेश की मूर्ति है। ठीक इसके ऊपर गरुणासीन भगवान विष्णु की मूर्ति स्थित है। मंदिर की जगती के दोनों फलक में अलग-अलग दृश्य अंकित हैं। एक फलक पर धनुर्धारी राम, सीता, लक्ष्मण तथा रावण और मृग अंकित हैं। तो वही दूसरे फलक पर रावण का भिक्षाटन और सीता हरण के दृश्य है। मंदिर के पृष्ठ भाग में सूर्य देव विराजमान हैं। मंदिर के चारो ओर अन्य कलात्मक मूर्तियों का भी अंकन है जिनमे से मुख्य रूप से भगवान विष्णु के दशावतारो में से वामन, नरसिह, कृष्ण और राम की प्रतिमाएँ है। ऐसे ही अनेक मूर्तियाँ नीचे की दीवारों में इंगित हैं।
छत्तीसगढ के किसी भी मंदिर में रामायण से सम्बंधित इतने दृश्य कहीं नहीं मिलते जितने इस विष्णु मंदिर में भव्य एवं कलात्मक अंकन देखने को मिलता है। ऐसा प्रतीत होता है कि किसी समय में बिजली गिरने से मंदिर ध्वस्त हो गया था जिससे मूर्तियां बिखर गयी। उन मूर्तियों को मंदिर की मरम्मत करते समय दीवारों पर जड़ दिया गया।
विष्णु मंदिर जांजगीर से जुड़े जनश्रुति
इस मंदिर के निर्माण से संबंधित अनेक जनुश्रुतियाँ प्रचलित हैं। एक दंतकथा जो महाबली भीम से जुड़ी है, जिसमे कहा जाता है कि मंदिर से लगे भीमा तालाब को भीम ने पांच बार फावड़ा चलाकर खोदा था। किंवदंती के अनुसार भीम को मंदिर का शिल्पी बताया गया है। इसके अनुसार एक बार भीम और विश्वकर्मा में एक रात में मंदिर बनाने की प्रतियोगिता हुई। तब भीम ने इस मंदिर का निर्माण कार्य आरम्भ किया।
मंदिर निर्माण के दौरान जब भीम की छेनी हथौड़ी नीचे गिर जाती तब उसका हाथी उसे वापस लाकर देता था। लेकिन एक बार भीम की छेनी पास के तालाब में चली गयी, जिसे हाथी वापस नहीं ला सका और सवेरा हो गया। भीम को प्रतियोगिता हारने का बहुत दुःख हुआ और गुस्से में आकर उसने हाथी के दो टुकड़े कर दिया। इस प्रकार मंदिर अधूरा रह गया। आज भी मंदिर परिसर में भीम और हाथी की खंडित प्रतिमा है।
तो ये था भगवान विष्णु का मंदिर, जिसके इतनी शानदार सजावट के बावजूद मंदिर के गर्भगृह में कोई मूर्ति नहीं है। यह मंदिर सूना है और आज भी एक दीप के लिए तरस रहा है।
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