चैतुरगढ़ का किला | चैतुरगढ़ मंदिर छत्तीसगढ़

चैतुरगढ़ का किला | चैतुरगढ़ मंदिर छत्तीसगढ़

नमस्कार, स्वागत है फिर एक बार आपका खूबसूरत भारत मे, जहां हम आपको आज दिखाएंगे की कैसे शानदार नजारों से भरा हुआ है छत्तीसगढ़ के प्रमुख पर्यटन और, धार्मिक स्थल चैतुरगढ़, तो चलिए देखते है पहाड़ो की खूबसूरत नजारों के साथ लाफ़ागढ कहे जाने वाले चैतुरगढ़ का किला को।

चैतुरगढ़ का किला

छत्तीसगढ़ के 36 किलों में से एक चैतुरगढ़ सबसे मजबूत प्राकृतिक किला है, जो कोरबा से करीब 70 किलोमीटर दूर पाली से 25 किलोमीटर उत्तर की ओर 3060 मीटर की ऊंचाई पर पहाड़ी के चोंटी पर स्थित है। अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध चैतुरगढ़ का किला जहां प्रसिद्ध महिषासुर मर्दिनी मंदिर स्थित है। नवरात्रि के दौरान यहाँ विशेष पूजा आयोजित की जाती है।

चैतुरगढ़ का इतिहास

दसवीं शताब्दी में राजा पृथ्वीदेव प्रथम द्वारा बनाया गया यह किला चारों ओर से मजबूत प्राकृतिक दीवारों से संरक्षित है केवल कुछ स्थानों पर उच्च दीवारों का निर्माण किया गया है। और यही कारण है कि पुरातत्वविदों ने इसे सबसे मजबूत प्राकृतिक किलो में शामिल किया है। इस किले के तीन मुख्य प्रवेश द्वार हैं जो मेनका, हुमकारा और सिम्हाद्वार नाम से जाना जाता है। इस किले के बारे में कहा जाता है कि मुगल सम्राट अकबर ने 1571 में किले पर कब्जा कर लिया था और मुगलों ने 1628 ईसवी तक शासन किया।

क्या है खास चैतुरगढ़ में

चैतुरगढ़ के इस खूबसूरत मैदान में स्थित है प्रसिद्ध महिषासुर मर्दिनी मंदिर। महिषासुर मर्दिनी की, 12 हाथों वाली मूर्ति, गर्भगृह में स्थापित हैं। मंदिर से 3 किमी दूर शंकर की गुफा स्थित है। जो 25 फिट लंबा एक सुरंग की तरह है, इस गुफा के अंदर जाना बहुत मुश्किल है, क्योंकि यह व्यास में बहुत कम है। इसके अलावा यहां कई प्रकार के जंगली जानवर और पक्षी यहां पाए जाते हैं।

चैतुरगढ़ का किला

पहाड़ी के शीर्ष पर 5 वर्ग मीटर का एक समतल क्षेत्र है, जहां पांच तालाब हैं, इनमें से तीन तालाब में हमेशा पानी भरा रहता है। इस मैदानी क्षेत्र का खूबसूरती देख मन आनंदित हो उठता है। हरे भरे ऊंचे ऊंचे पेड़ो से सजा, चिड़ियों की चहचहाट, रंग बिरंगे तितलियां इस खूबसूरत पहाड़ी क्षेत्र की शान है, और यही कारण है लोग इस प्राकृतिक स्थल का आनंद लेने के लिए दूर दूर से आते है।

एसईसीएल ने यहां आने वाले पर्यटको के लिए एक आराम घर का निर्माण किया है। इसके अलावा मंदिर के ट्रस्ट ने भी पर्यटकों के लिए कुछ कमरे बनाये।

कैसे पहुँचे चैतुरगढ़ :

  • हवाई जहाज से : चैतुरगढ़ के इस खूबसूरती को देखने के लिए आप हवाई, ट्रैन और सड़क मार्ग से आ सकते है। यहां पहुचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा स्वामी विवेकानन्द अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा रायपुर 200 किमी दूर है।
  • ट्रेन द्वारा : ट्रैन से पहुचने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन कोरबा 50 किमी एवं बिलासपुर रेलवे स्टेशन से 55 किमी की दुरी पर स्थित है।
  • सड़क के द्वारा : इसके अलावा आप सड़क मार्ग से आसानी से आ सकते है। सड़क मार्ग से चैतुरगढ़ पहुचने के लिए पाली 25 किलोमीटर, कोरबा बस स्टैंड 50 किमी एवं बिलासपुर बस स्टैंड से 55 किमी की दुरी पर स्थित है।

चैतुरगढ़ का वीडियो

इसे भी देखे :

Categories: , ,

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *