क्रोकोडाइल पार्क कोटमीसोनार छत्तीसगढ़

क्रोकोडाइल पार्क कोटमीसोनार छत्तीसगढ़ | Crocodile Park Kotmisonar Chhattisgarh

नमस्कार, स्वागत है फिर आपका खूबसूरत भारत मे, जहाँ हम आपको दिखायँगे एक ऐसी जगह जो, रेप्टीलिया वर्ग के सबसे बङे जंतुओं में एक, दुनिया में सबसे बड़े सरीसृप, मगरमच्छ का घर है। तो चलिए आपको दिखाते है, कैसा है कोटमीसोनार स्थित छत्तीसगढ़ का शानदार क्रोकोडाइल पार्क कोटमीसोनार।

कोटमिसोनार, छत्तीसगढ़

छत्‍तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के अकलतरा तहसील में स्थित कोटमीसोनार एक छोटा सा गांव हैं जो अपने पुरातात्‍विक इतिहास और क्रोकोडाईल पार्क के लिए पुरे छत्‍तीसगढ़ में प्रसिद्ध हैं। लेकिन पुराने समय में यह सोनारो का गांव हुआ करता था, जिससे यहां कई सिक्‍कों से भरी मटकीयां और प्राचीन जेवरात भी मिले हैं।

क्रोकोडाइल पार्क कोटमिसोनार छत्तीसगढ़

कहा जाता है कि यह गांव पहले एक पुरा किला हुआ करता था जो चारों तरफ से घिरा था और यहां के लोग काफी अमीर थे। इस जगह के पुराने किले को कोटमी सोनार फोर्ट के नाम से भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण द्वारा एक संरक्षित स्‍मारक का दर्जा भी प्राप्‍त है। हालांकि अब यहां किले के नाम पर सिर्फ उसके पत्‍थर ही बचे हुए।

कैसा है क्रोकोडाइल पार्क कोटमीसोनार छत्तीसगढ़

कोटमीसोनार का क्रोकोडाईल पार्क इस गांव का सबसे बड़ा टुरिस्‍ट प्‍लेस हैं जो छत्‍तीसगढ़ का तीसरा और बिलासपुर संभाग का पहला क्रेाकोडाईल पार्क हैं। इस पार्क को मगरमच्‍छो के संरक्षण के लिए बनाया गया हैं यहां साइंस पार्क, एनर्जी पार्क, ऑडीटोरियम आदि बनाया गया हैं। साथ ही यहां कैन्‍टीन और पर्यटकों के विश्राम करने के लिए रेस्‍ट हाउस व बच्‍चों के लिए गार्डन व झुले की व्‍यवस्‍था भी हैं।

पार्क के मगरमच्‍छो को देखने के लिए चारों ओर वॉच टावर भी बनाया गया हैं जहां से नजारा काफी सुदंर दिखता हैं। यहाँ आप आसानी से मगरमच्छ देख सकते हैं। यहां चार सौ बड़े मगरमच्छों के अलावा लगभग बहुत से बच्चे भी हैं। इस क्रोकोडाइल पार्क में रेप्टाईल प्रजाति के मगरमच्छ हैं, जो काफी शर्मीले स्वभाव के होते हैं। पानी के भीतर ये घंटों अपने संभावित शिकारों पर हमले की ताक में रहते हैं। ये मगरमच्छ पानी के भीतर बिना सांस लिए घंटों छिपे रह सकते हैं। मई-जून इनका प्रजनन काल होता है। पार्क में बने टापू में रेत की ढेर में ये अपने अंडे देते हैं।

कोटमीसोनार क्रोकोडाइल पार्क प्राकृतिक रूप से प्रजनन एवं संरक्षण के नजरिए से प्रदेश का पहला क्रोकोडाइल पार्क है। इसकी स्थापना वर्ष 2006 में हुई थी। बाद में मगरमच्छ पार्क से लगे सवा सौ एकड़ क्षेत्रफल को साईंस पार्क के रूप में विकसित किया गया है। पार्क में विज्ञान से जुड़ी रोचक जानकारी सौर ऊर्जा व अन्य जानकारी लोगों को मिलती है।

भारत का दूसरा सबसे बड़ा पार्क

यह पार्क चेन्न्ई के बाद देश का दूसरा बड़ा मगरमच्छ पार्क है यहां हर साल लगभग 60 हजार पर्यटक आते हैं। सामान्‍य दिनो में यहां काफी पर्यटक आते हैं यहां एन्‍ट्री टिकिटिंग से होती हैं और पार्किंग के लिए जगह भी हैं हर शाम यहां मगरमच्‍छो को करीब 4 बजे भोजन दिया जाता हैं जिस समय नजारा काफी अच्‍छा होता हैं। बरसात का मौसम यहां घुमने के लिए सबसे अच्‍छा मौसम हैं।

कैसे पहुँचे

क्रोकोडाइल पार्क कोटमीसोनार पहुंचने के लिए बिलासपुर से लगभग 30-35 कि.मी. दूर स्थित हैं आप यहां बिलासपुर से ट्रेन के माध्‍यम से आ सकते हैं। या रोड के सहारे टैक्‍सी बुक कर आ सकते हैं और जांजगीर चांपा जिला मुख्‍यालय से यह जगह लगभग 35 कि.मी. की दुरी पर हैं जहां आप ट्रेन के माध्‍यम से यहां आ सकते हैं।

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 काक्रोकोडाइल पार्क कोटमीसोनार छत्तीसगढ़ का वीडियो देखें :

 

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