शबरी धाम शिवरीनारायण | भारत के गुप्त तीर्थ स्थल

भारत का गुप्त तीर्थस्थल | शबरी धाम शिवरीनारायण | छत्तीसगढ़ का जगन्नाथपुरी

भारत का गुप्त तीर्थस्थल शिवरीनारायण एक ऐसा सांस्कृतिक नगर है, जहां आज भी भगवान नारायण गुप्त रूप से निवास करता है। ये नगर, संस्कारों की है, रीति रिवाजों की है। खूबसूरत भारत के इस खास नगर में थोड़ा इतिहास है, थोड़ा, भूगोल, थोड़ी, संस्कृति, थोड़ी धार्मिक और थोड़ी संगीत भी है। तो आइए देखते है विस्तार से शबरी धाम शिवरीनारायण के बारे में।

शिवरीनारायण जिसका दूसरा नाम गुप्त तीर्थ भी है। जो सतयुग के समय का नगर हैं, भगवान नारायण का घर और माता शबरी का आश्रम हैं। ऐसे ही प्राचीन नगरो की वजह से सभ्यताऐं जीवित रहती है, कहानियां बनती है, और लोगो मे ईश्वर के प्रति विश्वास और आस्था बढ़ती है, जिससे समाज का निर्माण होता है, और शिवरीनारायण तो साक्षात नारायण का घर है।

कहाँ पर है शबरी धाम शिवरीनारायण ?

kahna par hai shivrinarayan,

भारत के खूबसूरत राज्य छत्तीसगढ़ के जिला मुख्यालय जांजगीर से 50 किमी. दक्षिण की ओर, समुद्र तल से 235 मीटर की ऊंचाई पर, छत्तीसगढ़ के गंगा, पवित्र महानदी के किनारे बसा है, गुप्त तीर्थस्थल शबरी धाम  शिवरीनारायण।

शिवरीनारायण तीर्थस्थल

शबरी आश्रम शिवरीनारायण

इस नगर का नाम भगवान शिवरीनारायण के नाम से है, जहां भगवान शिवरीनारायण स्वयं रहते है। शिवरी, वास्तव में भगवान विष्णु का ही नाम है, और इस पूरे परिक्षेत्र में भगवान विष्णु की प्रतिमाओं के कारण, इस पूरे परिक्षेत्र को, नारायण क्षेत्र भी कहा जाता है। युगों से स्थित इस इस तीर्थस्थल को सतयुग में बैकुंठपुर, त्रेतायुग में रामपुर और द्वापर में विष्णुपुरी और नारयणपुर के नाम से जाना जाता था।

शिवरीनारायण क्यों प्रसिद्ध है?

 

kyon prasidh hai shibrinarayan, शबरी धाम शिवरीनारायण | भारत के गुप्त तीर्थ स्थल

शबरी धाम शिवरीनारायण, जिसके बारे में ऐसा कहा जाता है कि, ये एक ऐसा पवित्र स्थल है। जहां भगवान श्रीराम, माता शबरी के हाथों, जूठे बेर खाये थे। प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण, शिवरीनारायण जिसे छत्तीसगढ़ के जगन्नाथ पुरी भी कहा जाता है। एक मान्यता के अनुसार तो ऐसा भी कहा जाता है कि, भगवान जगन्नाथ की विग्रह मूर्तियों को यही से पूरी ले गया था, जो अभी ओडिशा में है।

शिवरीनारायण से जुड़े प्राचीन कथा

shivrinarayan se jude prachin katha, शबरी धाम शिवरीनारायण | भारत के गुप्त तीर्थ स्थल

रामायण के अनुसार, दंडकारण्य क्षेत्र और प्राचीन काल से दक्षिण कौशल क्षेत्र के नाम से विख्यात, इस क्षेत्र में जब भगवान श्री राम, भ्राता लक्ष्मण के साथ, माता सीता के खोज में जब माता शबरी के आश्रम पहुँचे तो, शबरी ने भगवान को यही पर जूठे बेर खिलाये थे, और तब से भगवान श्रीराम, नारायण रूप में आज भी यंहा विराजमान है। इसी कारण इसे गुप्त तीर्थ स्थल भी कहा जाता है। इसका प्रमाण रामचरित मानस में भी मिलता है।

शबरी धाम शिवरीनारायण के मुख्य आकर्षक

बड़ा मंदिर, शिवरीनारायण

bada mandir shivrinarayan,

धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध शबरी धाम शिवरीनारायण में, महानदी के तट पर भगवान शिवरीनारायण का भव्य मंदिर है। इसे बड़ा मंदिर, भी कहा जाता है। मंदिर परिसर में स्थित मंदिर प्राचीन, स्थापत्य कला और मूर्ति कला का बेजोड़ नमूना है। यहीं महानदी। शिवनाथ। और जोक नदी का। पवित्र संगम स्थल है। जहां श्रद्धालु डुबकी लगाकर पाँप मुक्त हो जाते है।

ऐसा कहा जाता है कि, इस मंदिर का निर्माण, राजा शब्बर ने कराया था। यहां 9वीं शताब्दी से लेकर, 12वीं शताब्दी का प्राचीन मंदिर स्थापित है। पूरा मंदिर परिसर, खूबसूरती से भरा हुआ है। जिसमे चारों तरफ पत्थरों से नक्काशी फूलों से सजा हुआ है।

कृष्णवट वृक्ष

मंदिर में उपस्थित एक पुजारी के अनुसार माता शबरी ने कृष्णवट नामक वृक्ष के पत्तो पर ही भगवान को बेर खिलाये थे। एक ऐसे ही कृष्णवट का वृक्ष आज भी मंदिर परिसर में स्थित है।

जगन्नाथ मंदिर

jagannath mandir,

पुजारी के अनुसार यंहा कुछ समय पहले तक बेर के वृक्ष भी थे। मंदिर परिसर में बड़ा मंदिर के अलावा भगवान जगन्नाथ का मंदिर, राम मंदिर, शबरी मंदिर, और कुछ प्राचीन मंदिर भी मौजूद है। यंहा कुछ ऋषियों का पद पादुका आज भी मौजूद है।

शबरी मंदिर

shabri mandir shivrinarayan,

शबरी धाम शिवरीनारायण तीर्थस्थल से कुछ दूरी पर खरौद के दक्षिण प्रवेश द्वार पर एक प्राचीन शबरी मंदिर है जिसके गर्भगृह में भगवान श्रीराम और भ्राता लक्ष्मण धनुष बाण लिए विराजमान है।

लक्ष्मणेश्वर महादेव

lakshmaneshvar mahadev kharod,

इसके कुछ दूरी पर प्रसिद्ध भगवान लक्ष्मणेश्वर विराजमान है। कहा जाता है कि भ्राता लक्ष्मण के विनती पर भगवान श्रीराम ने खर और दूषण की मुक्ति के पश्चात लक्ष्मणेश्वर महादेव की स्थापना की थी। 48 फिट ऊंचा इस मंदिर के अंदर स्थित शिवलिंग में एक लाख छिद्र है, जिसके कारण इसे लक्षलिंग भी कहा जाता है। इस पुरातात्विक मंदिर का जीर्णोद्धार रतनपुर के राजा, खड़कदेव ने करवाया था।

अन्य आकर्षक

shivrinarayan ke aakarshak,

शबरी धाम शिवरीनारायण में मुख्य मंदिर के अलावा पटेल मंदिर, केंवट मंदिर भी है। यहीं पर नदी के तट पर एक बगीचा भी है जंहा महाशिवरात्रि पर भव्य मेला लगता है। जो छत्तीसगढ़ के मेलों में सबसे अधिक प्रसिद्ध और लोकप्रिय है।

शिवरीनारायण के बारे मे विडियो देखे।

 

कैसे पहुंचे शिवरीनारायण

shivrinarayan kaise pahunche,

सड़क मार्ग से

शिवरीनारायण में बस से पहुंचे के लिए आप बिलासपुर रायपुर या जांजगीर-चाम्पा कंही से भी पहुंच सकते है। शिवरीनारायण पहुंचने के लिए हर समय इन जगहों से बस सेवा और टैक्सी उपलब्ध है।

ट्रेन से

शबरी धाम शिवरीनारायण पहुंचने के लिए जांजगीर-नैला रेलवे स्टेशन सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है। यंहा से आप बस या टैक्सी से पहुंच सकते है।

फ्लाइट से

शिवरीनारायण फ्लाइट के जरिये भी पहुंच सकते है। यहां पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी हवाई अड्डा बिलासपुर और रायपुर है। इसके बाद आप बस या ट्रेन के माध्यम से यहां पहुंच सकते है।

अब तक आपने देखा भारत का खूबसूरत गुप्त तीर्थ स्थल, प्राचीन स्थल, नारायण के घर, शिवरीनारायण के बारे में। तो ऐसा अदभुत है शिवरीनारायण, अदभुत है यंहा की संस्कृति।

बाहरी लिंक

Categories:

Leave a Reply