मड़वारानी मंदिर छत्तीसगढ़ | Madwarani Mandir
मड़वारानी मंदिर छत्तीसगढ़ | Madwarani Mandir Chhattisgarh
मड़वारानी मंदिर छत्तीसगढ़ के धार्मिक स्थल के साथ साथ एक पर्यटन स्थल भी है। यहाँ का खूबसूरत नजारा आपके मन को आकर्षित करने वाला है। ऊंचे पहाड़ी के चोंटी से हसदेव नदी का दृश्य बेहद शानदार लगता है। यहां की हरे भरे ऊंचे ऊंचे सीना ताने हुए पेड़ ऐसा लगता है मानो बदलो को खींच रहा हो।
मां मड़वारानी मंदिर छत्तीसगढ़
जिला मुख्यालय कोरबा से 22 किमी दूर मडवारानी मन्दिर छत्तीसगढ़ में कोरबा से चापा रोड पर स्थित है, पहाड़ी की चोटी पर माता मडवारानी का मंदिर है। जो अपने भक्तों की मनोकामना पूरा करने को लेकर प्रसिद्ध है। और यही कारण है कि लोगो मे माँ मड़वारानी के प्रति विश्वास और आस्था बढ़ते जा रहा है।
ऊंचे पहाड़ी पर घने जंगलों और फलदार वृक्षों और फूलों से घिरा हुआ मड़वारानी मंदिर हसदेव नदी के किनारे स्थित है। जहां एक कलमी पेड़ के नीचे माँ स्वयं विराजमान है। जिसके बारे में कहा जाता है कि आसपास के क्षेत्रों में कोई संकट आ जाता है माँ स्वयं ही रक्षा करती है।
मंदिर में विराजे माँ मड़वारानी का दृश्य बहुत खूबसूरत है। मंदिर परिसर में कई और मंदिर है जिसमे काली मां, दुर्गा मां, सहित कई देवी देवतायें विराजित है। मंदिर परिसर को धीरे विकसित किया जा रहा है। जिनमे मंदिरों का आकर्षण बहुत शानदार है।
मां मड़वारानी को ही संस्कृत में मांडवी देवी के रूप जाना जाता है। माँ के प्रकट होने को लेकर कई किवदंती है। जो बहुत ही अद्भुत है। बुजुर्गों के अनुसार या माना जाता है कलमी पेड़ और उसके पत्तियों पर नवरात्रि समय जवा उग जाती है। नवरात्रि के समय यहां भक्तों की तांता लग होता है। दूर दूर से लोग मां की दर्शन करने आते है। पहाड़ के नीचे एक मेला भी लगा होता है। जहां श्रद्धालु मां के दर्शन के बाद मेला भ्रमण करते है।
मुख्य मंदिर तक पहुंचने मार्ग
मुख्य मंदिर तक पहुँचने के लिए ऊंचे पहाड़ पर चढ़ना पड़ता है। जो कोरबा-चाम्पा मुख्य मार्ग में स्थित माँ मड़वारानी के मंदिर से शुरू होकर 5 किलोमीटर लंबा पहाड़ी रास्ते से होकर जाता है। अब इस रास्ते को विकसित किया है जिससे पैदल के साथ साथ टू व्हीलर और फोर व्हीलर से भी पहुंचा जा सकता हैं। पहाड़ पर चढ़ते समय बीच मे एक और मंदिर है जहां भक्त दर्शन करते है।
इसके अलावा माँ मड़वा रानी मुख्य मंदिर तक पहुचने के तीन और रास्ते है। जिसमे बरपाली गांव से होकर जाता है। ये रास्ता सबसे कम दूरी 1 किलोमीटर है जो की पूरी तरह सीढ़ियों वाला है। इसके अलावा दो और रास्ता है जो 3.1 किमी लंबा झींका-महोरा गांव से और 4.4 किमी लंबा रास्ता खरखरी गांव से शुरू होता है।
कैसे पहुंचें:
- हवाई जहाज से : स्वामी विवेकानन्द अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा रायपुर से 200 किमी. है।
- ट्रेन द्वारा : कोरबा रेलवे स्टेशन से 30 किमी, एवं चाम्पा रेलवे स्टेशन से 35 किमी की दुरी पर स्थित है।
- सड़क के द्वारा : कोरबा बस स्टैंड से 30 किमी, एवं चाम्पा बस स्टैंड से 35 किमी की दुरी पर स्थित है।