बागोर की हवेली उदयपुर: एक शाही ठाठ-बाट का सफर | Bagore Ki Haveli Udaipur
हाय दोस्तों! मैं हूँ तुम्हारा दोस्त, आज तुम्हें ले चलता हूँ राजस्थान के खूबसूरत शहर उदयपुर की एक ऐसी जगह पर, जो न सिर्फ इतिहास की गहराइयों को समेटे हुए है, बल्कि राजस्थानी संस्कृति का एक जीवंत चेहरा भी पेश करती है। जी हाँ, मैं बात कर रहा हूँ Bagore Ki Haveli Udaipur की, जो पिछोला झील के किनारे गंगौर घाट पर बनी एक शाही हवेली है। ये हवेली सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि मेवाड़ के गौरवशाली अतीत और राजस्थानी कला का एक अनमोल खजाना है। तो चलो, अपने बैग में उत्साह भर लो, और मेरे साथ इस शाही सफर पर निकल पड़ो। मैं तुम्हें इस हवेली की हर गलियारे, हर कमरे, और हर कहानी से रू-ब-रू करवाऊँगा। तो तैयार हो जाओ एक मगर मजेदार सफर के लिए!
बागोर की हवेली का परिचय | Introduction to Bagore Ki Haveli Udaipur
सबसे पहले तो ये जान लो कि Bagore Ki Haveli Udaipur कोई साधारण हवेली नहीं है। ये 18वीं शताब्दी में मेवाड़ के तत्कालीन प्रधानमंत्री अमर चंद बड़वा द्वारा बनवाई गई थी। ये हवेली पिछोला झील के ठीक किनारे, गंगौर घाट पर स्थित है, और इसका नजारा इतना खूबसूरत है कि तुम्हें लगेगा जैसे किसी राजा-महाराजा की जिंदगी में कदम रख दिया हो।
इस हवेली में 138 से ज्यादा कमरे हैं, जिनमें से हर एक कमरा राजस्थानी कला और शिल्प का एक नमूना है। यहाँ की दीवारों पर मेवाड़ी चित्रकला, शीशे का बारीक काम, और रंगीन कांच की मोज़ेक कारीगरी देखने लायक है। खास तौर पर रानी के कक्ष में बने दो मोर, जो रंगीन कांच के टुकड़ों से तैयार किए गए हैं, वो हर किसी का दिल जीत लेते हैं।
आज ये हवेली एक संग्रहालय के रूप में काम करती है, जिसे वेस्ट ज़ोन कल्चरल सेंटर (WZCC) ने संभाला हुआ है। यहाँ तुम्हें राजस्थानी संस्कृति, परंपराओं, और शाही जीवनशैली की झलक मिलेगी। और हाँ, हर शाम यहाँ होने वाला Dharohar Dance Show इतना शानदार है कि इसे देखे बिना उदयपुर की यात्रा अधूरी है।
अगर तुम उदयपुर घूमने का प्लान बना रहे हो, तो मेरी सलाह है कि Bagore Ki Haveli Udaipur को अपनी लिस्ट में सबसे ऊपर रखो। और अगर तुम्हें उदयपुर के और पर्यटक स्थलों की जानकारी चाहिए, तो उदयपुर टूरिज्म की वेबसाइट चेक कर सकते हो।
बागोर की हवेली का इतिहास | History of Bagore Ki Haveli Udaipur
दोस्तों, किसी भी जगह को समझने के लिए उसका इतिहास जानना बहुत जरूरी है। Bagore Ki Haveli का इतिहास मेवाड़ के शाही वैभव से जुड़ा हुआ है। इसे 1751 से 1778 तक मेवाड़ के प्रधानमंत्री रहे अमर चंद बड़वा ने बनवाया था। अमर चंद बड़वा एक सनाढ्य ब्राह्मण थे, जिन्होंने महाराणा प्रताप सिंह द्वितीय, राज सिंह द्वितीय, अरी सिंह, और हमीर सिंह के शासनकाल में सेवा की।
इस हवेली का निर्माण करीब दो दशकों तक चला, और इसमें राजपूत वास्तुकला की खूबसूरती को बखूबी दर्शाया गया। हवेली में आंगन, जालीदार खिड़कियाँ, मेहराबें, और बारीक नक्काशी इसकी शाही पहचान हैं। अमर चंद बड़वा के बाद ये हवेली मेवाड़ के शाही परिवार के कब्जे में आई और नाथ सिंह, जो तत्कालीन महाराणा के रिश्तेदार थे, यहाँ रहने लगे।
1878 में, महाराज शक्ति सिंह ने इस हवेली में त्रिमुखी प्रवेश द्वार बनवाया, जिसके बाद इसे Bagore Ki Haveli के नाम से जाना जाने लगा। आजादी के बाद, 1947 तक ये हवेली मेवाड़ राज्य के पास रही। लेकिन इसके बाद इसे राजस्थान सरकार ने अपने कब्जे में ले लिया और सरकारी कर्मचारियों के आवास के लिए इस्तेमाल किया।
दुर्भाग्यवश, इस दौरान हवेली की हालत काफी खराब हो गई। कोई देखभाल न होने की वजह से इसकी दीवारें और कलाकृतियाँ नष्ट होने लगीं। लेकिन 1986 में वेस्ट ज़ोन कल्चरल सेंटर ने इसे अपने कब्जे में लिया और इसे एक संग्रहालय में बदल दिया। इसकी मरम्मत में पारंपरिक सामग्री जैसे लखौरी ईंटें और चूने का गारा इस्तेमाल किया गया। शाही परिवार के सदस्यों और विशेषज्ञों की सलाह से इसे फिर से उसी शाही अंदाज में जीवंत किया गया।
हवेली की वास्तुकला | Architecture of Bagore Ki Haveli Udaipur
अब बात करते हैं इस हवेली की वास्तुकला की, जो इसे इतना खास बनाती है। Bagore Ki Haveli Udaipur राजपूताना और मेवाड़ी वास्तुकला का एक शानदार नमूना है। जैसे ही तुम गंगौर घाट पर बने इसके त्रिमुखी द्वार से अंदर दाखिल होते हो, तुम्हें एक अलग ही दुनिया में ले जाया जाता है।
हवेली में तीन मुख्य चौक हैं – कुआँ चौक, नीम चौक, और तुलसी चौक। कुआँ चौक नीचे की मंजिल पर है, जहाँ पहले दुकानें और अस्तबल हुआ करते थे। यहाँ रोजमर्रा के कामकाज होते थे। नीम चौक पहली मंजिल पर है, जहाँ शाही पुरुष संगीत और नृत्य का आनंद लेते थे। आज भी यहाँ Dharohar Dance Show का आयोजन होता है। तुलसी चौक महिलाओं का खास हिस्सा था, जहाँ राजकुमारियाँ घूमर नृत्य करती थीं और अपनी शाही जिंदगी जीती थीं।
इस हवेली के 138 कमरों में से हर कमरा अपने आप में एक कहानी कहता है। यहाँ की दीवारों पर मेवाड़ी शैली की भित्ति चित्र (फ्रेस्को), रंगीन कांच की खिड़कियाँ, और शीशे का बारीक काम देखकर तुम दंग रह जाओगे। खास तौर पर रानी का कक्ष, जिसे Queen’s Chamber कहा जाता है, यहाँ की शीशे की दीवारें और छतें रोशनी में चमकती हैं। दो मोरों की मोज़ेक कारीगरी तो इतनी खूबसूरत है कि तुम्हें लगेगा जैसे वो सचमुच जिंदा हैं।
हवेली में कांच महल (मिरर पैसेज), दीवान-ए-खास, और शृंगार कक्ष जैसे हिस्से भी हैं, जो शाही जीवनशैली की झलक देते हैं। अगर तुम राजस्थानी वास्तुकला के दीवाने हो, तो इनक्रेडिबल इंडिया की वेबसाइट पर और ऐसी जगहों की जानकारी ले सकते हो।
संग्रहालय की खासियत | Highlights of Bagore Ki Haveli Museum
Bagore Ki Haveli Udaipur अब एक संग्रहालय है, और यहाँ की हर चीज तुम्हें मेवाड़ के शाही अतीत की याद दिलाएगी। यहाँ कई थीम-बेस्ड गैलरी हैं, जैसे:
- पपेट म्यूजियम: यहाँ राजस्थानी कठपुतलियों का शानदार कलेक्शन है। छोटे-छोटे हस्तनिर्मित पपेट्स से लेकर शाही दरबार की सेटिंग तक, सब कुछ देखने लायक है। यहाँ होने वाला पपेट शो बच्चों और बड़ों, दोनों को खूब पसंद आता है।
- टर्बन म्यूजियम: राजस्थानी पगड़ियों का एक अनोखा कलेक्शन यहाँ देखने को मिलता है। हर पगड़ी की अपनी कहानी है, जो मेवाड़ के इतिहास से जुड़ी है।
- वैपन म्यूजियम: यहाँ शाही हथियारों का प्रदर्शन है, जैसे तलवारें, ढाल, और बंदूकें, जो मेवाड़ के योद्धाओं की शौर्य गाथा बयान करते हैं।
- रॉयल आर्टिफैक्ट्स: शाही कपड़े, गहने, हुक्का, पान के डिब्बे, और तांबे के बर्तन यहाँ की शाही जीवनशैली को दर्शाते हैं।
- मेवाड़ी पेंटिंग्स: रानी के कक्ष में मेवाड़ी शैली की चित्रकारी देखने लायक है। ये चित्र राजस्थान की कला और संस्कृति का जीवंत चित्रण करते हैं।
संग्रहालय सुबह 9:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक खुला रहता है। एंट्री फीस ज्यादा नहीं है – बड़ों के लिए 60 रुपये और बच्चों के लिए 30 रुपये। अगर तुम कैमरा ले जाना चाहते हो, तो 100 रुपये अलग से देने होंगे।
धरोहर डांस शो | Dharohar Dance Show at Bagore Ki Haveli
अब आता है इस हवेली का सबसे बड़ा आकर्षण – Dharohar Dance Show। दोस्तों, अगर तुमने ये शो नहीं देखा, तो समझो उदयपुर की आत्मा को नहीं छुआ। हर शाम 7:00 बजे से 8:00 बजे तक नीम चौक में होने वाला ये शो राजस्थानी संस्कृति का एक रंगीन उत्सव है।
यहाँ तुम्हें घूमर, कठपुतली नृत्य, भवई, और चरी नृत्य जैसे पारंपरिक नृत्य देखने को मिलेंगे। खास तौर पर भवई नृत्य, जिसमें कलाकार सिर पर सात-आठ मटके रखकर नाचते हैं, वो हर किसी को हैरान कर देता है। साथ ही, यहाँ की लोक संगीत की प्रस्तुति तुम्हें राजस्थान की मिट्टी की खुशबू से जोड़ देगी।
शो के टिकट 6:15 बजे से मिलने शुरू होते हैं, और मेरा सुझाव है कि तुम पहले ही पहुँच जाओ, क्योंकि अच्छी सीट के लिए भीड़ लग जाती है। टिकट की कीमत 100 रुपये के आसपास है। अगर तुम राजस्थानी संस्कृति को और गहराई से समझना चाहते हो, तो टूर माय इंडिया पर और जानकारी ले सकते हो।
बागोर की हवेली कैसे पहुँचें | How to Reach Bagore Ki Haveli Udaipur
Bagore Ki Haveli Udaipur उदयपुर के पुराने शहर में स्थित है, जो सिटी सेंटर से सिर्फ 1.5 किमी की दूरी पर है। यहाँ पहुँचना बहुत आसान है:
- हवाई मार्ग से: उदयपुर का नजदीकी हवाई अड्डा महाराणा प्रताप एयरपोर्ट है, जो हवेली से 24 किमी दूर है। यहाँ से तुम टैक्सी या प्री-पेड कैब लेकर आसानी से हवेली पहुँच सकते हो।
- रेल मार्ग से: उदयपुर सिटी रेलवे स्टेशन हवेली से सिर्फ 2.4 किमी दूर है। स्टेशन से ऑटो-रिक्शा या टैक्सी लेकर तुम 10 मिनट में हवेली पहुँच जाओगे।
- सड़क मार्ग से: उदयपुर राजस्थान के प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग से bağlı है। राजस्थान स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (RSRTC) और प्राइवेट बसें उदयपुर को जोधपुर, जयपुर, और दिल्ली जैसे शहरों से जोड़ती हैं। उदयपुर बस स्टैंड से हवेली के लिए ऑटो या टैक्सी ले सकते हो।
- लोकल ट्रांसपोर्ट: उदयपुर में ऑटो-रिक्शा, साइकिल-रिक्शा, और टैक्सी आसानी से मिल जाते हैं। अगर तुम पिछोला झील का मजा लेना चाहते हो, तो गंगौर घाट तक बोट राइड भी ले सकते हो।
हवेली का सटीक पता है: गंगौर घाट मार्ग, उदयपुर, राजस्थान, 313001। अगर तुम्हें रास्ता ढूँढने में दिक्कत हो, तो स्थानीय लोग तुम्हें आसानी से गाइड कर देंगे।
बागोर की हवेली में क्या करें
Bagore Ki Haveli Udaipur में करने के लिए ढेर सारी चीजें हैं। यहाँ तुम न सिर्फ इतिहास और संस्कृति से रू-ब-रू हो सकते हो, बल्कि कुछ मजेदार एक्टिविटीज भी एंजॉय कर सकते हो:
- संग्रहालय घूमो: हवेली के 138 कमरों को एक्सप्लोर करो और मेवाड़ी कला, शाही हथियार, और कठपुतलियों का कलेक्शन देखो।
- धरोहर डांस शो देखो: शाम को होने वाला Dharohar Dance Show मिस मत करना। ये तुम्हें राजस्थानी संस्कृति के रंगों में डुबो देगा।
- पपेट शो का मजा लो: बच्चों के साथ यात्रा कर रहे हो, तो पपेट शो जरूर देखो। ये छोटा लेकिन बहुत मनोरंजक होता है।
- पिछोला झील का नजारा: हवेली की छत से पिछोला झील और सूर्यास्त का खूबसूरत नजारा देखो। ये पल तुम्हारे कैमरे में कैद होने लायक है।
- शॉपिंग: हवेली के आसपास की गलियों में राजस्थानी हस्तशिल्प, गहने, और पारंपरिक कपड़े खरीद सकते हो।
- बोट राइड: गंगौर घाट से पिछोला झील में बोट राइड लेकर सिटी पैलेस और जग मंदिर के नजारे देखो।
अगर तुम उदयपुर में और चीजें करना चाहते हो, तो मेक माय ट्रिप पर उदयपुर के टूर पैकेज चेक कर सकते हो।
बागोर की हवेली के आसपास घूमने की जगहें | Nearby Attractions
Bagore Ki Haveli Udaipur के आसपास कई और शानदार जगहें हैं, जो तुम्हारी उदयपुर यात्रा को और यादगार बना देंगी:
- सिटी पैलेस: हवेली से कुछ ही दूरी पर स्थित सिटी पैलेस मेवाड़ के शाही इतिहास का प्रतीक है। इसका संग्रहालय और वास्तुकला देखने लायक है।
- जगदीश मंदिर: ये प्राचीन मंदिर हवेली से पैदल दूरी पर है। भगवान विष्णु को समर्पित इस मंदिर की नक्काशी खूबसूरत है।
- पिछोला झील: हवेली के ठीक सामने बनी ये झील उदयपुर की शान है। यहाँ बोट राइड जरूर लो।
- फतेह सागर झील: अगर तुम्हें प्रकृति का आनंद लेना है, तो फतेह सागर झील की सैर करो।
- सज्जनगढ़ पैलेस: मॉनसून पैलेस के नाम से मशहूर ये महल अरावली पहाड़ियों पर बना है और सूर्यास्त के लिए बेस्ट है।
इन जगहों की और जानकारी के लिए राजस्थान टूरिज्म की वेबसाइट देख सकते हो।
बागोर की हवेली घूमने का सबसे अच्छा समय | Best Time to Visit Bagore Ki Haveli
उदयपुर की खूबसूरती हर मौसम में बरकरार रहती है, लेकिन Bagore Ki Haveli Udaipur घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक है। इस दौरान मौसम सुहावना रहता है, और तुम बिना गर्मी की चिंता के हवेली और आसपास की जगहों को एक्सप्लोर कर सकते हो।
अगर तुम त्योहारों के दौरान उदयपुर आना चाहते हो, तो दीवाली, होली, नवरात्रि, या मेवाड़ फेस्टिवल के समय यहाँ का माहौल और रंगीन हो जाता है। हवेली में इन मौकों पर खास सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं।
मेरा अनुभव
दोस्तों, मैंने जब Bagore Ki Haveli Udaipur में कदम रखा, तो ऐसा लगा जैसे मैं किसी पुरानी बॉलीवुड फिल्म के सेट पर आ गया हूँ। हवेली का प्रवेश द्वार, जो गंगौर घाट पर बना है, अपने आप में इतना भव्य है कि तुम फोटो खींचने से खुद को रोक नहीं पाओगे।
जैसे ही मैं अंदर गया, कुआँ चौक में एक कमल के फव्वारे ने मेरा स्वागत किया। वहाँ से नीम चौक तक का सफर, जहाँ मैंने Dharohar Dance Show देखा, वो मेरे लिए सबसे यादगार पल था। भवई नृत्य में कलाकारों की कुशलता देखकर मेरे रोंगटे खड़े हो गए।
हवेली की छत से पिछोला झील का नजारा इतना सुकून देने वाला था कि मैं वहाँ घंटों बैठा रह सकता था। संग्रहालय में पपेट शो और टर्बन म्यूजियम ने मुझे राजस्थानी संस्कृति के और करीब ला दिया।
मेरा सुझाव है कि तुम हवेली को कम से कम 2-3 घंटे दो, ताकि हर कोने को अच्छे से देख सको। और हाँ, अगर तुम उदयपुर में हो, तो सिएरा बाय द लेक जैसी जगह पर ठहर सकते हो, जो हवेली से सिर्फ 2 किमी दूर है।
निष्कर्ष
तो दोस्तों, Bagore Ki Haveli Udaipur वो जगह है, जहाँ तुम राजस्थान की आत्मा को महसूस कर सकते हो। ये हवेली न सिर्फ मेवाड़ के शाही इतिहास को दर्शाती है, बल्कि Dharohar Dance Show और संग्रहालय के जरिए राजस्थानी संस्कृति को जीवंत करती है। पिछोला झील के किनारे बनी इस हवेली का हर कोना तुम्हें मंत्रमुग्ध कर देगा।
अब तुम्हारी बारी है! क्या तुमने Bagore Ki Haveli Udaipur घूमा है? या तुम्हारा कोई खास अनुभव है? नीचे कमेंट में जरूर बताओ। और अगर तुम्हें ये पोस्ट पसंद आई, तो इसे शेयर करना मत भूलना। उदयपुर की इस शाही यात्रा पर फिर मिलते हैं!
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